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20 साल, सूर्य की 3 तस्वीरें, घटते धब्बे, पृथ्वी पर महामारी का संकेत

Banswara
20 साल, सूर्य की 3 तस्वीरें, घटते धब्बे, पृथ्वी पर महामारी का संकेत
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इसरो के सेटेलाइट से ली गई तस्वीरों से समझिए सूर्य धब्बों और पृथ्वी पर महामारी का कनेक्शन...

बांसवाड़ा. सूर्य की स्थिति के अनुसार 2़1वीं सदी महामारी की सदी साबित होगी। वर्तमान में सूर्य पर जो स्पॉट हैं वे भी काफी न्यूनतम स्तर पर आ गए हैं। वैज्ञानिकों के अनुसंधान में ये सामने आया कि ऐसे कई दिन निकल रहे हैं जिसमें सूर्य स्पॉटलेस हो जाता है। इस स्थिति के आधार पर ये संकेत हैं कि आने वाले समय में सूर्य के अंदर का धरातल और चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो रहा है। शायद ये ग्लोबल या ग्रांड मिनिमम साइकिल और चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव का साइकिल भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि जब-जब सूर्य पर स्पॉट कम हुए हैं तब-तब पृथ्वी पर भूकंप और ज्वालामुखी जैसी घटनाएं घटी हैं या महामारी फैलती है।

ये धब्बे सूर्य के भीतर मैग्नेटिक उथल-पथल के कारण उत्पन्न होते हंै। जिसमें अत्यधिक चुंबकीय ऊर्जा हाेने से विस्फोट होता है। जिससे जहरीली किरणें और अत्यधिक उच्च ऊर्जा के कण बाहर आते हैं जो धरती के वायुमंडल, जलवायु और इसके चुंबकीय ढाल को प्रदूषित करते हंै।

ग्लोबल मिनिमम की ओर सूर्य, 50 वर्षों से धीरे-धीरे कम हो रहे हैं सूर्य पर धब्बे
डॉ. राजमल जैन के मार्ग दर्शन में उनके वैज्ञानिक साथियों डॉ. पार्था चौधरी, प्राेफेसर पीसी रे, डाॅ. अम्लान चक्रवर्ती काेलकाता यूनिवर्सिटी, डाॅ. दीपाली बुरूड शिवाजी यूनिवर्सिटी का शोधपत्र सोलर फिजिक्स जर्नल और रिसर्च इन एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स जर्नल में प्रकाशित हुआ। जिसमें बताया कि धब्बे पिछले 50 वर्षों से धीरे-धीरे कम हो रहे हैं। सूर्य फिर से ग्लोबल मिनिमम की ओर है। उन्होंने बताया कि पिछले ग्लोबल मिनिमम अर्थात माउंडर मिनिमम के बाद लगभग 370 वर्षों का समय गुजर चुका है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सूर्य पृथ्वी सहित सभी ग्रहों को नियंत्रित करता है। 4 साल मेंे पृथ्वी पर फैली महामारी के बारे में 3 देशों के वैज्ञानिकों ने सूर्य पर शोध किया तो पता चला कि सूर्य पर धब्बे (ब्लैक स्पोट) लगातार कम हो रहे हैं। सूर्य के अंदर का धरातल और चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो रहा है। जिससे पृथ्वी पर संक्रमण (फ्लू) लगातार बढ़ रहे हैं। जैसे पहले स्वाइन फ्लू, चिकनगुनिया, येलो फ्लू, बर्ड फ्लू और अब कोरोना वायरस।

यह तस्वीरें सागवाड़ा निवासी इसरो के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. राजमल जैन ने उपलब्ध कराई।


इन वैज्ञानिकों का रिसर्च
चीन के डॉ. अरुण अवस्थी, भारत की डाॅ. दीपाली बुरूड़, अमेरिका के प्राेफेसर प्रमोद चमड़िया, प्रोफेसर गोपाल स्वामी, भारत के डाॅ. सुभाष काैशिक अाैर स्नेहा चाैधरी, प्राे. सुशांत त्रिपाठी, प्राे. राजीव व्हाटकर।

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