Home News Business

घोड़े पर विराजित कल्कि अवतार की पहली मार्बलकी प्रतिमा... एक ही शिला से बनी मूर्ति, आसपास श्रीहरि के दशावतार

Banswara
घोड़े पर विराजित कल्कि अवतार की पहली मार्बलकी प्रतिमा... एक ही शिला से बनी मूर्ति, आसपास श्रीहरि के दशावतार
@HelloBanswara - Banswara -

देश की पहली मूर्ति दावा इसलिए...

1. घोड़े पर विराजित कल्कि अवतार की पहली प्रतिमा

2. कल्कि के साथ श्रीहरि के 10 स्वरूप

3. किसी मंदिर में पहली बार प्राण प्रतिष्ठा से करेंगे स्थापित


प्रियंक भट्ट | बांसवाड़ा


वागड़ प्रयाग बेणेश्वर धाम पर श्री हरि मंदिर स्वर्ण शिखर प्रतिष्ठा महोत्सत रविवार से आरंभ होगा। इसी महोत्सव में 2 दिसंबर को मंदिर परिसर में श्री निष्कलंक कल्कि भगवान की मूर्ति भी विराजित की जाएगी। दावा है कि यह देश का पहला कल्कि अवतार में भगवान निष्कलंक का मंदिर होगा, जहां प्राण प्रतिष्ठा कर मूर्ति स्थापित की जाएगी। मूर्ति को मकराना मार्बल की एक ही शिला को तराशकर बनाया गया है। जयपुर के कारीगरों को इसे बनाने में 4 महीने लगे। साढ़े 5 फीट ऊंची और 1.5 टन से भी ज्यादा वजनी हा मूर्ति के चारों ओर 10 मूर्तियों का आभा मंडल है। ये मूर्तियां भगवान विष्णु के दस अवतारों के रूप में स्थापित हैं। मूर्ति को श्री हरि मंदिर के ऊपरी तल पर स्थापित किया जाएगा। आचार्य निकुंज मोहन पंड्या बताते हैं कि यह देश की इकलौती भगवान निष्कलंक की प्रतिमा होगी, जो कि कल्कि अवतार में है और प्राण प्रतिष्ठा के साथ स्थापित की जाएगी। गर्भगृह में भगवान श्री हरि की मूर्ति विराजित है। गर्भगृह के चारों ओर काले पत्थर की मूर्तियां हैं, जिन्हें तलवाड़ा के मूर्तिकारों ने बनाया। इन दशावतार मूर्तियों को प्राण प्रतिष्ठा होगी। बताया जा रह्य है कि जयपुर में जिन मूर्तिकारों ने यह मूर्ति बनाई है, उनके यहां भी यह विशाल शिला 90 वर्षों से सुरक्षित रखी थी।


महोत्सव आज से, सुबह कलश यात्रा, शाम को दीपदान
संत मावजी की तपोस्थली बेणेश्वर धाम की पहाड़ी पर 84 फीट ऊंचे बने इस मंदिर की भव्यत् का पता इसी से चलता है कि इसका शिखर करीब 4 किलोमीटर ् से भी साफ नजर आता है। मंदिर के गुंबद पर 5 शिखर हैं। इनमें से प्रमुख शिखर 65 किलो वजनी है। तांबे से बने इस शिखर पर सोने की परत चढ़ाई है। आयोजन समिति के कोषाध्यक्ष विष्णु उपाध्याय ने बताया कि दो मंजिला यह मंदिर 101 पिलर पर खड़ा है। निचले तल पर 52 और ऊपरी तल पर 49 खंभे हैं। मजबूती के लिए इसमें बंसी पफहाड़पुर के पत्थरों का इस्तेमाल किया है। महंत अच्युतानंद महाराज के सानिध्य में 6 दिवसीय महोत्सव रविवार से शुरू होगा। पहले दिन गंगाजल कलश यात्रा निकाली जाएगी। शाम को महाआरती होगी।

FunFestival2024
शेयर करे

More news

Search
×