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पंचायताें में हर साल 200 कराेड़ से ज्यादा का घाेटाला, अंकेक्षण की टीम भी शामिल

Banswara
पंचायताें में हर साल 200 कराेड़ से ज्यादा का घाेटाला, अंकेक्षण की टीम भी शामिल
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जेटीए काे केवल तकनीकी स्वीकृति के अधिकार, मूल्यांकन जांच करा बीडीओ करा रहे गबन

पवन त्रिवेदी|बांसवाड़ा

बीडीअाे व जेटीए की मिलीभगत से ग्राम पंचायत मद में जिले में प्रतिवर्ष दाे साै कराेड़ रुपए से अधिक का घोटाला किया जा रहा है। यह पूरा घोटाला जेटीए से तकनीकी स्वीकृति की अाड़ में वित्तीय स्वीकृति व कार्याे का मूल्यांकन कराने की अाड़ में हाे रहा है। सबसे बड़ी बात यह कि सरकार के इस संबंध में शिड्यूल अाॅफ पावर्स में स्पष्ट कर रखा है कि संविदा पर कार्यरत कनिष्ठ तकनीकी सहायक(जेटीए) व वरिष्ठ तकनीकी सहायक (एटीए) काे मूल्यांकन जांच करना, पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करना अादि किसी प्रकार की वित्तीय शक्तियां प्रदान नहीं हाेगी। वे केवल तकनीकी स्वीकृति जारी करने के लिए अधिकृत हाेंगे। यही आदेश महानरेगा में भी हैं। जेटीए, एसटीए विभागीय अभियंताओं के निर्देशन में मेजरमेंट बुक में माप दर्ज कर सकेंगे, लेकिन उन कार्याे का मूल्यांकन, जांच, उपयोगिता प्रमाण-पत्र जारी करने केे लिए अधिकृत नहीं हाेंगे। इन कार्याे के भौैतिक सत्यापन, कार्य का मूल्यांकन, जांच व उपयोगिता प्रमाण पत्र पंचायत समिति के जेईएन या एईएन करने के लिए पंचायत समिति के जेईएन व एईएन ही अधिकृत हैं। लेकिन बीडीओ यह काम जेटीए से करा लेते हैं। उनकी रिपोर्ट के आधार पर राशि स्वीकृत कर लेते हैं। कुछ मामले सामने भी अाते ताे ग्राम विकास अधिकारी यानि ग्राम सचिव पर गाज गिर जाती है। बीडीओ बच निकलते हैं। दूसरी अाेर यह घोटाला पकड़ने की जिम्मेदारी उप िनदेशक, निधि अंकेक्षण विभाग के पास है। इस विभाग की उदयपुर से अाने वाली टीम काे भी बीडीओ अपने स्तर पर मैनेज कर लेते हैं, जिससे यह घोटाला कभी उजागर ही नहीं हाे पाता।

 

पांच लाख के काम कराने की छूट इसलिए एक करोड़ का काम भी टूकड़ों में अलग-अलग काम कर उठाते हैं पैसा

राज्य के पंचायती राज विभाग की अाेर से विभिन्न याेजनाअाें में प्रत्येक ग्राम पंचायत काे कम से कम एक कराेड़ रुपए की राशि विकास मद में जारी की जाती है। बड़ी ग्राम पंचायतों में यह राशि पांच कराेड़ तक हाेती है। ग्राम पंचायत अपने क्षेत्र में जाे विकास के कार्य कराना चाहती है। ग्राम सभा के जरिए उसके प्रस्ताव पारित करा पंचायत समिति में बीडीओ के पास भेजती है। बीडीओ इन प्रस्तावों काे तकनीकी स्वीकृति के लिए जेटीए के पास भेजते हैं। जेटीए काे ग्राम पंचायत में पांच लाख रुपए तक के कार्य की स्वीकृति जारी करने के अधिकार हैं। एेसे में ग्राम पंचायतों की एक कराेड़ रुपए की राशि में से पांच लाख रुपयों तक के कई अलग-अलग कार्य स्वीकृत कर लिए जाते हैं।

 

भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए आदेश
एक ही काम दाे बार स्वीकृत ताे सीधे बीडीओ िजम्मेदार

बांसवाड़ा. पंचायतराज योजना में व्याप्त भारी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कलेक्टर ने सख्त रवैया अपना लिया है। पंचायत राज की किसी योजना में एक ही कार्य दुबारा स्वीकृत हुअा ताे इसके लिए सीधे बीडीओ काे जिम्मेदार ठहराते हुए उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। कलेक्टर अंतर सिंह नेहरा ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया है। अब किसी भी कार्य की स्वीकृति से पूर्व प्रत्येक बीडीओ काे एक प्रमाण-पत्र देना हाेगा। जिसमें उन्हें स्पष्ट लिखना हाेगा कि प्रस्तावित कार्य पूर्व में किसी अन्य योजना में स्वीकृत नहीं हुअा है। उल्लेखनीय है कि जिला कलेक्टर ने ग्राम पंचायत पाराहेड़ा में हुई गड़बड़ियाें की जाे जांच कराई, उसमें यह प्रमाणित हुअा कि सीसी सड़क के कुछ कार्य एेसे थे, जाे पूर्व में पंचायत की एक योजना में स्वीकृत हाे चुके थे। उनका भुगतान भी उठ चुका था। लेकिन माैके पर काेई कार्य नहीं हुअा। कुछ समय बाद यही काम महानरेगा योजना में भी स्वीकृत करा लिए गए थे अाैर उसमें भी कार्य प्रगति पर बता दिया था। जबकि माैके पर काेई काम नहीं हाे रहा।


 

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