मजदूर था पर आज तूने मजबूर कर दिया, अब बस मुझे घर चलना है - रजत शर्मा
बांसवाडा के मशहूर कोरियोग्राफर रजत शर्मा ने मजदूरों की इस लाचारी पर अपने शब्द कविता में बयां किया है, इस कविता को विडियो के माध्यम से प्रस्तुत किया है जिसमे अपने शब्दों को मजदूरों की इस हालत दिखाया है, जिसे देखने के बाद आपकी आँखे भी नाम हो जायेगी एक बार जरूर देखे। रजत शर्मा ऐसे विडियो पहले भी बना चुके है।
कविता का विडियो लिंक
https://www.youtube.com/watch?v=srdWwMHK1ss
मजदूर था पर आज तूने मजबूर कर दिया।
जरूरत के वक्त तूने खुद से दूर कर दिया
कल सूरज मेरी नई सुबह लाएगा। बुरा वक्त है, यह भी कट जाएगा
धूप सहने की तो आदत है मुझे।
तो क्या हुआ कुछ मील धूप में पैदल चललिया तो
गरीबी की भूख सहने की आदत है मुझे
तो क्या हुआ कुछ दिन भूखा रह लिया तो
रुकना नहीं है, थमना नहीं है ना कोई बीमारी से डरना है। अब बस मुझे घर चलना है। अब बस मुझे घर चलना है।
मां के हाथ से बनी चूल्हे की रोटी खानी है। बाबा के संग खेत में जाना है।
मत बनाओ मुझे महान नहीं हूं। मैं भारत की शान
क्यों कहते हो, मजदूर देश का आधार है।
आज तो वही मजदूर खुद लाचार है।
बस कुछ ही मील तो चलना है बस कुछ ही दिन तो धूप में जलना है।
अब बस मुझे घर चलना है। अब बस मुझे घर चलना है।
नंगे पैर हूं, कहीं छाले ना पड़ जाए।
रास्ते में सोना भी नहीं है। कहीं गाड़ी ना कुचल जाए।
थक कर बैठूंगा भी नहीं, कहीं आंख ना लग जाये,
गला प्यासा है सामान थोड़ा ज्यादा है
5 दिन पहले निकला था शहर से
अभी गांव का सफर आधा है
बस कुछ ही मील तो चलना है बस कुछ ही दिन तो धूप में जलना है।
अब बस मुझे घर चलना है। अब बस मुझे घर चलना है।