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किन 6 लोगों ने राफेल डील के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी याचिका

किन 6 लोगों ने राफेल डील के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी याचिका
@HelloBanswara - -

National December 15, 2018 - राफेल डील की जांच कोर्ट की निगरानी में कराए जाने की मांग को शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस डील में ऐसी कोई अनियमितता नहीं लगती, जिसकी जांच कराए जाने की आवश्यकता है। बीते कई महीनों से इस डील को विपक्षी दल मोदी सरकार के खिलाफ बड़े राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते रहे हैं। केंद्र सरकार के खिलाफ करप्शन का आरोप लगाते हुए राहुल गांधी लगातार इस डील को लेकर बीजेपी पर तीखा हमला बोलते रहे हैं।

जानें, इस डील के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में किन लोगों ने दायर की थी याचिका-

मनोहर लाल शर्मा: मथुरा के रहने वाले वकील मनोहर लाल शर्मा उन मुद्दों पर पीआईएल दाखिल करने के लिए जाने जाते हैं, जो चर्चित या विवादित होते हैं। राफेल डील में भी वह पहले ऐसे शख्स रहे, जिन्होंने कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग करते हुए पीआईएल दाखिल की। हाल ही में उन पर कोर्ट ने वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ पीआईएल दाखिल करने को लेकर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। आरबीआई पर रिजर्व को देने का दबाव बनाने को लेकर उनके खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी। 

विनीत ढांडा: शर्मा के अलावा ढांडा वह दूसरे वकील हैं, जिन्होंने इस मसले पर पीआईएल डाली थी। हालांकि उनके पिता जेपी ढांडा ने उनकी ओर से कोर्ट में जिरह करने का काम किया। मजे की बात यह है कि इस राफेल डील के खिलाफ डाली याचिका की सुनवाई के दौरान उनके पिता कोर्ट में इसे राइफल डील ही कहते रहे। ढांडा ने कोर्ट में कहा था कि वह जनता के लिए काम करने वाले व्यक्ति हैं। अखबारों में डील में खामी होने की खबरें पढ़ने के बाद उन्होंने याचिका दाखिल की। 

संजय सिंह, राज्यसभा सांसद: आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक और राज्यभा सांसद संजय सिंह ने इस डील में गैर-पारदर्शिता और अवैध रूप से कीमत बढ़ाए जाने का आरोप लगाया था। माइनिंग इंजिनियरिंग में डिप्लोमा करने वाले संजय का कहना था कि इस बात की जांच की जानी चाहिए कि आखिर यूपीए की ओर से की गई इस डील को पहले रद्द क्यों किया गया और फिर बाद में अधिक दाम पर क्यों की गई। इसके अलावा उनका एक सवाल यह था कि आखिर इसकी मैन्युफैक्चरिंग का काम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से लेकर रिलायंस को क्यों दिया गया। 

यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण: बीजेपी के बागी नेता यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी लंबे समय से मोदी सरकार के आलोचक बने हुए हैं। जबकि बीते करीब 15 सालों से प्रशांत भूषण न्यायिक क्षेत्र का वह चेहरा हैं, जो अधिकतर अहम मामलों में अपना दखल रखते हैं। इस मामले में तीनों ने 4 अक्टूबर को सीबीआई में एफआईआर का प्रयास किया था। ऐसा न हो पाने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुनवाई के दौरान भूषण और शौरी ने अदालत में भी सीबीआई जांच की मांग की। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने चुटकी लेते हुए कहा कि पहले सीबीआई खुद तो अपने घर को व्यवस्थित कर ले। असल में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई में छिड़ी अंदरुनी जंग को लेकर यह टिप्पणी की थी। 

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