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सीवरेज कनेक्शन लिया, लेकिन जोड़ा नहीं, नालियों में फैल रहा मलमूत्र, खुले में फेंक रहे बायोवेस्ट, प्लेसेंटा और सीरींज

सीवरेज कनेक्शन लिया, लेकिन जोड़ा नहीं, नालियों में फैल रहा मलमूत्र, खुले में फेंक रहे बायोवेस्ट, प्लेसेंटा और सीरींज
@HelloBanswara - -

बांसवाड़ा. महात्मा गांधी के भीतर की सफाई और अन्य अव्यवस्थाओं से तो आप वाकिफ ही हैं, लेकिन आपको अस्पताल की ऐसी तस्वीर बता रहा है जो खुद संक्रमण और गंदगी से घिरा हुआ है। लोग परिसर के भीतर से ही बीमारियों को लेकर लौटते हैं। इससे न केवल अस्पताल बल्कि आसपास की कॉलोनियों में भी संक्रमण का खतरा बना हुआ है। स्थिति यह है कि सीधे नालियों में मलमूत्र बह रहा है। बायोवेस्ट और प्लेसेंटा को खुले में फैका जा रहा है। यह तस्वीर यह भी बताती है कि इतने बड़े परिसर का अस्पताल प्रबंधन की ओर से किस प्रकार दुरुपयोग किया है। परिसर में दूसरी बड़ी अव्यवस्था हैं बेतरतीब भवनों का निर्माण। अस्पताल प्रबंधन की ओर से किसी भी योजना में निर्माण स्वीकृति मिलते ही मनमर्जी से भवनों का निर्माण कर दिया गया है। अब नए निर्माण के लिए कोई जगह शेष नहीं। जो भवन बनाए गए हैं वो भी अनुपयोगी साबित हो रहे हैं। पीएमओ जिम्मेदार : गंदगी के लिए जिम्मेदार पीएमओ है, क्योंकि नाले में अपशिष्ट लंबे समय से पड़े है। इसके बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। बायोवेस्ट सेंटर के समीप कुत्तों का जमावड़ा रहता है। निस्तारण क्यों जरूरी: बायोवेस्ट और प्लेसेंटा जैसी चीजों का निस्तारण बेहद जरूरी है। इनसे इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। खुले में फेंकने पर अगर आधे घंटे बीच कोई भी व्यक्ति इसके संपर्क में आ गया तो उस महिला की बीमारी से ग्रसित हो सकता है, जिसका प्लेसेंटा है। प्लेसेंटा के सड़ने की बदबू भी बीमार कर सकती है। इन्हें वार्डों से ही थैलियों में बंद करके सही तरीके से निस्तारित करना चाहिए।

नर्सिंग हॉस्टल के बाहर गंदगी-कीचड़ का अंबार

अस्पताल की एमसीएच विंग के पीछे ही जीएनएम नर्सिंग छात्राओं का हॉस्टल बना हुआ है। हॉस्टल परिसर से ही गुजर रहे गंदे नाले के कारण छात्राओं पर बीमारियों और संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। हॉस्टल परिसर में घास, झाड़ियां और कीचड़ का अंबार लगा हुआ है। कई बार इस समस्या से अस्पताल प्रबंधन को अवगत कराया गया, लेकिन स्थाई समाधान आज तक नहीं हो पाया।

बारिश में सड़क तक फैल जाती है अस्पताल की गंदगी

अस्पताल की मुख्य बिल्डिंग के पास मेल और फीमेल वार्ड के शौचालय का पूरा मल और मूत्र नीचे सीवरेज में नहीं जाकर नालियों में फैल रहा है। अस्पताल प्रबंधन की ओर से नई सीवरेज लाइन तो बिछा दी गई, लेकिन एनआरएचएम द्वारा इस कार्य में महज सड़क पर पाइप लाइन बिछा दी गई है। सीवरेज का इंटरनल कनेक्शन नहीं लिया, इससे पूरा मलमूत्र नालियों में ही जमा हो रहा है।

अस्पताल में उठती है नाले की दुर्गंध, शिक्षा विभाग तक परेशान

अस्पताल में बायोवेस्ट का प्रॉपर तरीके से निस्तारण नहीं किया जा रहा। यहां बायोवेस्ट सेंटर तो बना रखा है लेकिन खुले में फेंकने से बदबू आती रहती है। कुत्तों का जमावड़ा भी लगा रहता है। कई बार कुत्ते प्लेसेंटा की थैलियों को फाड़ देते है। वहीं पास ही बरसाती नाला है। जिसमें बड़ी मात्रा में इस्तेमाल की गई सीरिंज और टेबलेट का ढेर पड़ा रहता है। यह नाला पास ही शिक्षा विभाग कार्यालय से निकलता है। जिससे कर्मचारी भी परेशान हैं।

10 किलो बॉयोवेस्ट रोजाना जमा प्रभावित वार्ड: मदर मिल्क बैंक, टीबी वार्ड, फीजियोथैरेपी सेंटर और जीएनएम हॉस्टल असर: रातीतलाई और मोहन कॉलोनी के लोगों पर ज्यादा

 

By Bhaskar

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