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CM अशोक गहलोत की वो तस्वीरें, जो पहले कभी नहीं देखी, चाय के साथ पारले-जी है पसंद

CM अशोक गहलोत की वो तस्वीरें, जो पहले कभी नहीं देखी, चाय के साथ पारले-जी है पसंद
@HelloBanswara - -

Rajasthan December 15, 2018 - अशोक गहलोत को मरुधरा में कांग्रेस के कद्दावर नेता माना जाता है. राजस्थान के जोधपुर में मशहूर जादूगर लक्ष्मण सिंह गहलोत के घर में जन्म लेने वाले कांग्रेस के अशोक कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक रहे हैं. 

राजस्थान का भावी सीएम कौन होगा, इसका ऐलान कर दिया गया है. सत्ता की बागडोर कांग्रेस के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत के हाथों में एक बार फिर से दी गई है. पिछले चार दशकों से राजनीति में वो अब लोहा मनवाते आए हैं. अशोक गहलोत को मरुधरा में कांग्रेस के कद्दावर नेता माना जाता है. राजस्थान के जोधपुर में मशहूर जादूगर लक्ष्मण सिंह गहलोत के घर में जन्म लेने वाले कांग्रेस के अशोक कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक रहे हैं.

कौन जानता था कि जादूगर का बेटा एक दिन राजनीति में ऐसा जादू दिखाएगा कि राज्य की सत्ता पर तीसरी बार काबिज हो जाएगा. पिछले 40 सालों से राजनीति में सक्रिय अशोक गहलोत का जन्म तीन मई 1951 को जोधपुर में हुआ था. अशोक गहलोत के पिता लक्ष्मण सिंह गहलोत पेशे से मशहूर जादूगर थे. 

अशोक गहलोत ने विज्ञान और कानून से ग्रेजुएशन के बाद अर्थशास्त्र से एमए की पढ़ाई की. एनएसयूआई से राजनीति शुरू करने वाले अशोक गहलोत बाद में यूथ कांग्रेस और सेवा दल से होते हुए कांग्रेस की मुख्य धारा में पहुंचे. राजस्थान में महज 34 साल की उम्र में ही प्रदेश अध्यक्ष बने. 

अशोक गहलेत पहली बार साल 1998 में राजस्थान के मुख्यमंत्री बने, जिस वक्त वे राज्य के मुखिया बने, उस वक्त विधायक नहीं थे तो सीट खाली हुई और फिर सरदारपुर से उपचुनाव जीतकर विधायक बने. 1998 से 2003 और 2008 से 2013 तक राजस्थान के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. अब तीसरी बार वो प्रदेश की सत्ता को संभालेंगे.

गहलोत 1979 से 1982 तक कांग्रेस पार्टी के जोधपुर जिला अध्यक्ष रहे और 1982 में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने. उसी दौरान 1980 में गहलोत सांसद बने. 

वह 1980 से 1999 तक पांच बार 7वीं, 8वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं लोकसभा के लिए भी चुने गए. गहलोत 1999 से जोधपुर के सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. वह 11वीं, 12वीं, 13वीं और 14वीं राजस्थान विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं. पांच बार सांसद रह चुके गहलोत पांचवीं बार विधायक बने हैं.

27 नवंबर 1977 को सुनीता गहलोत से शादी रचाने के बाद गहलोत की दो संतान है. बेटे का नाम वैभव तो बेटी का नाम सोनिया है. अशोक गहलोत कांग्रेस के ऐसे नेता हैं, जिनकी गिनती कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार होती है. अशोक गहलोत को तीन-तीन प्रधानमंत्रियों के मंत्रिमंडल में काम करने का मौका मिल चुका है. इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में शामिल रहे. कांग्रेस के भरोसेमंद नेताओं में शुमार अशोक गहलोत छात्र राजनीति से इस मुकाम तक पहुंचे हैं. वह 1982-1983 तक पर्यटन उप-मंत्री और 1983-84 में नागरिक उड्डयन, 1984 में खेल उप-मंत्री, 1984-85 में पर्यटन और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री, 1991-93 तक वस्त्र राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पदभार संभाल चुके हैं.

गहलोत 2004-2009 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव (दिल्ली और सेवादल प्रभारी), 2004 में कांग्रेस कार्य समिति और हिमाचल प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के प्रभारी रह चुके हैं. राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कई अहम पदों पर रह चुके गहलोत तीन बार कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं.

कई देशों की यात्रा कर चुके गहलोत ने राजनीति के अलावा 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी शरणार्थियों के शिविरों में काम किया और कई सामाजिक गतिविधियों में शामिल रहे. अशोक गहलोत एक ऐसा नेता हैं, जिन्हें सादगी अतिप्रिय है. राजनीतिक समर्थकों की फौज से हमेशा घिरे रहने वाले 67 वर्षीय अशोक गहलोत के बारे में कहा जाता है कि वह 24 घंटे अपने कार्यकर्ताओं के लिए उपलब्ध रहते हैं. कहा जाता है किसी भी समय कोई भी कार्यकर्ता या आमजन उन्हें फोन करता है, तो वो उसकी परेशानी की हल बड़ी ही आसानी से करते हैं.

चाय के साथ पारले-जी है पसंद - आज जहां नेता 7 स्टार और 5 स्टार होटल्स से नीचे बात नहीं करते आशोक गहलोत के बारे में प्रचलित है कि वो किसी भी गांव-देहांत में रुककर लोगों से बात कर उनकी नब्ज भांप लेते थे. अशोक गहलोत के करीबी इस बात को भी कहते हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान अपनी गाड़ी में पारले-जी बिस्कुट रखते हैं और कही भी लोगों से बात के बहाने चाय की चुसकी के साथ मंथन करते हैं. 

 

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