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जेटीए की हड़ताल ने 3 लाख श्रमिकों का रोजगार छीना

Banswara
जेटीए की हड़ताल ने 3 लाख श्रमिकों का रोजगार छीना
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बांसवाड़ा| कोरोना काल में प्रवासी श्रमिकों की रोजी-रोटी का आधार बने महानरेगा कार्यों पर ग्रहण से लग गया है। पहले लॉकडाउन, अब जेटीए की हड़ताल ने जिले में ही करीब 3 लाख श्रमिकों का रोजगार छीन लिया है। लॉकडाउन के पहले जिले में 2.52 लाख श्रमिक काम कर रहे थे, जो अब पूरी तरह से बेरोजगार हो गए हैं। सरकार ने 24 मई से महानरेगा में सामुदायिक कार्यों को शुरू करने की मंजूरी तो दे दी, तो वर्तमान में महानरेगा में केवल 30 हजार 815 श्रमिक काम पर हैं। जबकि मई व जून महानरेगा में श्रमिकों के नियोजन के अनुसार सबसे पीक माह कहलाता है। गत वर्ष इन दिनों श्रमिकों की संख्या लगभग साढ़े तीन लाख थी। लेकिन एक कार्यस्थल पर अधिकतम 20 श्रमिकों को ही रखे जाने की शर्त पर। इसका वर्तमान में कम श्रमिकों को रोजगार दिए जाने के पीछे मुख्य कारण प्रत्येक ग्राम पंचायत में बीस- बीस सामुदायिक कार्यों की स्वीकृति है। सरकार ने भी अधिक से अधिक श्रमिकों को रोजगार देने के निर्देश दे रखे हैं। शुक्रवार को प्रभारी मंत्री ने भी वीसी में सभी बीडीओ को ज्यादा से ज्यादा कार्य स्वीकृत करने को कहा, लेकिन इस में व्यवहारिक परेशानी यह है कि जेटीए की प्रदेश व्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल चल रही है। नियमानुसार पांच लाख रुपए तक कि स्वीकृति जारी करने के अधिकार जेटीए को ही है। ऐसे में नए कामों की तकनीकी स्वीकृति ही जारी नहीं हो पा रही। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत एईएन यह स्वीकृतियां जारी कर सकते हैं।

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