Home News Business

सूखे पहाड़ों पर खोदे 50 हजार गद्दे, 700 से ज्यादा ग्रामीणों को 90 दिन लगे, पौधे लगाना शुरू

Banswara
सूखे पहाड़ों पर खोदे 50 हजार गद्दे, 700 से ज्यादा ग्रामीणों को 90 दिन लगे, पौधे लगाना शुरू
@HelloBanswara - Banswara -

लेखक: प्रियंक भट्‌ट

सूखे पहाड़ों को हरा-भरा करने के लिए 50 हजार गड्ढे खोदे गए है। 90 दिन में 3 गांवों के 700 से ज्यादा ग्रामीण और वन विभाग की टीम काम में लगी। अब गुरुवार से गड्ढों में पौधे रोपने का काम शुरू कर दिया गया है। हम बात कर रहे है, बांसवाड़ा शहर से 40 किमी दूर बाबादेव खजूरी डूंगरा जंगल की।

यहां पहाड़ियों पर खोदे गए 50,000 गड्ढे किसी पेंटिंग की तरह नजर आ रहे है। जंगल के एक बड़े हिस्से में सूखी पहाड़ श्रृंखला है। इन पहाड़ों पर वापस हरियाली लौटाने के लिए सभी ने एकजुट होकर काम किया। 500 मीटर ऊंचे पथरीले पहाड़ों पर ठीक से चल पाना मुश्किल है। इसके बाद भी ग्रामीणों ने मात्र 90 दिन में इतनी बड़ी संख्या में गड्ढों को खोद दिया। वन विभाग ने 20 दिनों के भीतर सभी गड्ढों में पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया है, जिससे कि मानसून सीजन में यह आसानी से पनप सकें।

बाबादेव खजूरी डूंगरा के पहाड़ों पर खोदे गए 50 हजार गड्‌ढे।
बाबादेव खजूरी डूंगरा के पहाड़ों पर खोदे गए 50 हजार गड्‌ढे।

पानी संजोने 20 मिट्टी के डैम बनाए, ट्रैंच खोदी
पहाड़ियों पर बारिश के बाद भी पौधों को पानी मिल सकें, इसलिए 20 मिट्टी के डैम (ईसीडी) और 20 हजार रनिंग मीटर लंबी ट्रैंच बनाई गई है। इन ट्रैंच के भरने पर बारिश के बाद भी कई दिनों तक पौधों को भूमिगत पानी मिलता रहेगा। कुछ मिनी चैक डेम ऐसे भी है, जिनमें 6 महीने से भी ज्यादा समय तक पानी इकट्ठा रहता है। राज्य योजना (एसपी) में करवाए जा रहे इस काम में डूंगरा क्षेत्र के 700 से भी ज्यादा ग्रामीण सहयोग कर रहे है। ग्रामीणों ने पौधे लगाने के बाद इनकी सुरक्षा का भी जिम्मा लिया है।

गड्‌ढों को खोदने के लिए 3 गांवों के 700 से ज्यादा ग्रामीण लगे।
गड्‌ढों को खोदने के लिए 3 गांवों के 700 से ज्यादा ग्रामीण लगे।

ऊंचाई और पथरीली जगह से आ रही थी मुश्किलें

वन विभाग ने यहां 100 हैक्टेयर में जंगल पनपाने की तैयारी की है। वनपाल रमेश मईड़ा बताते है कि इस काम के लिए जनवरी से गड्ढे खोदना शुरू किया था। मार्च अंत तक यह काम पूरा हो पाया। गर्मियों के दिनों में सूखी पहाड़ियों पर काम करने में काफी दिक्कतें आई। गर्मी से बचने के लिए टेंट भी लगाना पड़ता। प्यास बुझाने के लिए ऊंचाई तक पानी ले जाना भी बड़ी चुनौती था लेकिन ग्रामीणों की मदद से इसे पूरा कर सके। पिछले साल इसी क्षेत्र से सटे ब्लाॅक में 50 हैक्टेयर में 25 हजार पौधे लगाए हैं। इन पौधों की 5 साल तक देखरेख की जाएगी।

100 हैक्टेयर में पनपेगा जंगल, घास और लकड़ी से होगी आय
रेंजर गोविंदसिंह खिंची बताते है कि जंगल पनपने से स्थानीय ग्रामीणों को ही घास, जलाऊ लकड़ी के अलावा फलों से आय होगी। इसके अलावा शुद्ध ऑक्सीजन मिल सकेगी। 1 पेड़ हर दिन औसतन 230 लीटर ऑक्सीजन देता है। यहां 100 हैक्टेयर में जंगल पनपने से 2 किमी इलाके में ग्रामीणों को शुद्ध ऑक्सीजन मिल सकेगी। रोपे जा रहे पौधों में सागवान, बांस जैसे बेशकीमती पौधे शामिल हैं। फलदार पौधों और घास से भी आय मिलेगी। यह जंगल निश्चित रूप से ग्रामीणों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा।

पहाड़ों पर 21 प्रजातियों के पौधे रोपकर हरियाली की जाएगी।
पहाड़ों पर 21 प्रजातियों के पौधे रोपकर हरियाली की जाएगी।

21 प्रजातियों के पौधे रोप रहे
पहाड़ियों पर सागवान, बांस, खैर, चुरेल, बोर, रुद्राक्ष, काली करंज, नीम, देसी बबूल, अडूसा, आंवला, जामून, अर्जूना, कचनार, बीजासाल, कडाया के पौधे लगाए जा रहे हैं। वहीं गुलर, बड़, पीपल, गदापलाश और मोजाल पेड़ की कलम रोपी जा रही है।

FunFestival2024
शेयर करे

More news

Search
×