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डिजिटल दंगे रूकवाओ फोरजी भईय्या!

डिजिटल दंगे रूकवाओ फोरजी भईय्या!
@HelloBanswara - -

डिजिटल दंगे रूकवाओ फोरजी भईय्या! (Digital riots exclamation arrows religion race defamation)

April 21, 2017 जब से 2 जी के टट्टू को पछाड़ कर 4जी की फर्राटेदार एंट्री चारों दिशाओं में हुई है तब से दिन-दूनी, रात-चौगुनी रफ्तार से बेलगाम शब्दभेदी बाण चलाए जा रहे हैं!

सरकार तो खैर सो रही है, भाईलोग भी भाईचारा छोड़ कर डिजिटल धमाके करने में लगे हुए हैं... कोई धर्म के नाम पर धमाल कर रहा है तो कोई जाति के नाम पर जहर परोस रहा है... कोई नापाक इरादे पूरे करने के लिए लाखों के ईनाम घोषित कर रहा है तो कोई अफवाहों की आग में डिजिटल घी डाल रहा है!

प्रेस एक्ट के कारण अखबार वाले एक-एक शब्द तोल-तोल कर लिखते रहे कि किसी शब्द का कोई गलत अर्थ न निकल जाए? किसी की मानहानि न हो जाए? कोई तथ्य झूठा न पड़ जाए? बलात्कार पीडि़ता का नाम/फोटो नहीं छप जाए? दंगे में किसी की जाति/धर्म का पता न चले? लेकिन... डिजिटल दबंगई भाषाई मर्यादा की सारी दीवारे फांद चुकी है! उन्हें किसी सबूत की जरूरत नहीं है... जो मन में आया लिख मारा! किस नेता के पास कितना काला धन है? कौन चोर है? कौन चरित्रहीन है? सारी जानकारियां बगैर तथ्य के सेल्फ सर्टिफाइड हैं!

फिल्मों के लिए सेंसर बोर्ड है लेकिन ये डिजिटल फिल्म मेकर... अशशील... हिंसक... आपत्तिजनक... कोई भी, कैसी भी... फिल्म बना कर देश-दुनिया में प्रदर्शन के लिए स्वतंत्र हैं! इसे वायरल फ्रीडम कह सकते हैं!

सोशल मीडिया पर कानूनी डंडे के डर से एडमिन भले ही हाथ जोड़-जोड़ कर, आपत्तिजनक सामग्री नहीं डालने की अपील करते-करते थक गए हों, लेकिन... व्हॉट्सएपवीर ऐसी अपीलों की कहां परवाह करते हैं? जेल जाए तो एडमिन, हमारा क्या है? इस धरती पर इस वक्त एडमिन से बड़ा बहादुर कोई नहीं है जो हर अनजान आरोपित की सजा भुगतने के लिए खुद तैयार है और कानून भी गजब का है... पहली कार्रवाई एडमिन पर जबकि ज्यादातर एडमिन को तो यह भी नहीं पता कि उनके ग्रुप में कौन-कौन निर्भीक शब्दयोद्धा हैं! गजब की है 4जी आजादी... लाउड स्पीकरों को ध्वनि प्रदूषण रोकने की जिम्मेदारी दी गई है!

By प्रदीप द्विवेदी

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