रेल लाइन निर्माण फिर अटका, टेंडर भी हो गए, मुआवजा राशि नहीं मिलने से निर्माण कार्य शुरू होकर बंद हो गया
ढाई हजार करोड़ लागत की रेलवे परियोजना पांच हजार करोड़ से अधिक लागत की हो गई। पिछले कुछ माह से स्पेशल ट्राइबल कॉरिडोर स्कीम के तहत गुजरात के अहमदाबाद से बांसवाड़ा वाया डूंगरपुर न्यू ब्रॉड गेज रेलवे लाइन का कार्य शुरू किया गया था। जिसके तहत समीपवर्ती डूंगरपुर जिले में 180 करोड़ की लागत से हुए टेंडर और वर्क ऑर्डर के तहत रेलवे ट्रैक के लिए अर्थ वर्क, पुल आदि का निर्माण कार्य जारी है।
वहीं बांसवाड़ा जिले में 102 करोड़ की लागत से टेंडर हुए थे। इसके अलावा समीपवर्ती मध्यप्रदेश के रतलाम जिला क्षेत्र में रेलवे परियोजना का अधूरा निर्माण कार्य पूरा करने 285 करोड़ के टेंडर किए गए थे। बांसवाड़ा जिले में वर्क ऑर्डर देकर निर्माण कार्य प्रारंभ करने का प्रयास किया गया था, लेकिन मुआवजा राशि नहीं मिलने से जमीन के खातेदारों द्वारा विरोध करने के कारण न तो सर्वे कार्य पूरा हो पाया और न ही लंबे समय तक निर्माण कार्य शुरू हो पाया।
ऐसे में बांसवाड़ा में कार्यरत उत्तर-पश्चिम रेलवे के एएक्सईएन देवेंद्र कुमार का बांसवाड़ा जिले से डूंगरपुर जिले में तबादला कर दिया गया है। वर्तमान में बांसवाड़ा जिले में रेलवे ट्रैक का निर्माण कार्य शुरू होने की स्थितियां नहीं होने और विरोध कर काम नहीं करने देने से फिलहाल बांसवाड़ा जिले में रेल विभाग का कोई भी अभियंता निर्माण कार्य नहीं देख रहा है। उल्लेखनीय है कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सांसद कनकमल कटारा द्वारा कई बार प्रयास करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर पहल करने के बाद नई स्कीम में बंद पड़ी रेल परियोजना का निर्माण कार्य शुरू करवाया था। लेकिन पुराना एमओयू प्रभावी होने से वर्तमान में भी रेलवे परियोजना का निर्माण कार्य पूरा करने आधी लागत राजस्थान सरकार को ही वहन करनी है लेकिन इस संबंध में अभी तक कोई नया फैसला नहीं हुआ है। वहीं राजस्थान सरकार को ही पुराने एमओयू के तहत जमीन की मुआवजा राशि अदा कर रेलवे ट्रैक, स्टेशन,पुल आदि निर्माण करने जमीन अवाप्त कर उत्तर-पश्चिम रेलवे को सौंपनी है। ऐसा करने पर ही सही मायनों में बिना किसी विरोध के निर्माण कार्य शुरू हो पाएगा। उल्लेखनीय है कि यदि इस बार रेलवे परियोजना का शुरू हुआ काम पूरा नहीं हुआ तो आगामी वर्षों में इसका निर्माण कार्य पूरा होने में अधिक संशय है।