शादी के 45वें दिन शहीद हुए थे ये जवान, पत्नी जी रही बेटी में पति का सपना
शादी के 45वें दिन शहीद हुए थे ये जवान, पत्नी जी रही बेटी में पति का सपना Martyr Widow Have Dreams In Daughter
National - आज हम आजादी के 71वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। पूरा देश जश्न में डूबा है...। ऐसे में मीडिया गुरसेवक परिवार के बीच पहुंचा। पिछले साल सीमा पर आतंकियों से लड़ते हुए गुरसेवक शहीद हो गए हैं। जाना कि उनका परिवार वालों का जीवन किस तरह चल रहा है..कैसे वह पहाड़ से इस दुख से निकलने का प्रयास कर रहे हैं ।गुरसेवक की याद में ही चल रहा है जीवन...
- 49 गोलियां गुरसेवक ने आतंकियों पर दागीं। दो को मार गिराया। तीसरे ने पीछे से तीन गोली चला दी और गुरसेवक शहीद हो गए।
- बेटे की वीरगाथा बताते हुए अंबाला के रहने वाले शहीद गुरसेवक के पिता सुच्चा सिंह की आंखें नम हो जाती हैं।
- वह बताते हैं कि 2 जनवरी 2016 का वह स्याह दिन था, जब पठानकोट में बेटा शहीद हुआ। अब ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब उसकी याद ना आती हो। भले ही मेरा बड़ा फौजी बेटा हरदीप हमारा ध्यान रखता है पर हम गुरसेवक के बिना खुद को बहुत अकेला महसूस करते हैं।
- सुबह जल्दी उठकर खेतों आदि पर जाते हैं। खुद को काम में व्यस्त कर जिंदगी को सामान्य करने की कोशिश तो करते हैं पर ऐसा हो नहीं पाता। क्योंकि शादी के 45वें दिन ही गुरसेवक हमें छोड़कर चला गया।
- शहीद बेटे की पत्नी जसप्रीत अपने मायके कुराली में रहती है। यहां उसे गुरसेवक की कमी खलती थी। पोती गुररीत भी बहु के पास है।
- हालांकि कभी-कभार वह मिलने आ जाती है। वह यहां डीसी ऑफिस में जॉब करती है। प्रशासन और समाज से पूरी मदद मिल रही है। अब गांव के स्कूल में गुरसेवक का स्मारक बन रहा है। लगभग तैयार हो चुका है।
- सोमवार को ही गुरसेवक की प्रतिमा भी दिल्ली से बनकर आ गई है। जिसे देखते ही पिता भावुक हो गए। वहीं गुरसेवक पत्नी जसप्रीत कहती हैं कि गुरसेवक मेरी अंतरात्मा में बसता है। वह बेटी के रूप में गुरसेवक को देखती है।
- वह कभी अपने गुरसेवक का नाम मिटने नहीं देगी। उसे हर हाल में जिंदा रखेगी। इसीलिए बेटी का नाम भी गुररीत रखा है। मैं गुरसेवक का सपना बेटी में ही जी रही हूं। उसे एयरफोर्स में कुछ बनाकर दिखाऊंगी। हालांकि शादी के सवाल पर जसप्रीत ने साफ इनकार कर दिया।- bhaskar