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जूते पहनकर प्रिंसिपल के कक्ष में गए तो दो शिक्षकों को दिया नोटिस

Banswara
जूते पहनकर प्रिंसिपल के कक्ष में गए तो दो शिक्षकों को दिया नोटिस
@HelloBanswara - Banswara -

जिले के पड़ौली गाेर्धन राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में संस्थाप्रधान द्वारा दो शिक्षकों को दिया नोटिस काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। नोटिस को लेकर स्टाफ और संस्थाप्रधान में आपसी विरोध दिख रहा है। नोटिस इस बात को लेकर दिया गया है कि संस्थाप्रधान के कक्ष में जूते पहनकर जा रहे और उनके कक्ष में बने बाथरूम का उपयोग किया जा रहा है। जहां प्रिंसिपल इसे स्कूल में स्वच्छता बनी रहने का हवाला दे रही है तो वहीं शिक्षक द्वारा इस प्रकार के नोटिस देकर डराने की बात कही जा रही है। स्कूल प्रिंसिपल स्नेहलता मेहरा ने इतिहास के व्याख्याता पवन पारगी को नोटिस दिया है कि मौखिक रुप से आदेश देने के बाद भी कार्यालय में जूते पहनकर प्रवेश किया जाता है, यदि दोबारा ऐसी गलती दोहराई जाती है तो उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाएगा। शिक्षक पारगी ने बताया कि प्रिंसिपल ने अपने कक्ष औ कंप्यूटर रुम में कालिन बिछा रखा है, जहां कोई भी जूते पहनकर जाता है तो हर बार नोटिस देती रहती है। जबकि ऐसा कोई नियम नहीं बना हुआ है। मेरे पांव में दिक्कत होने के कारण जूते पहनना जरुरी है, क्योंकि छोटी सी किल या कोई काटा लगता है तो परेशानी बढ़ जाती है। कुल मिलाकर बात की जाए तो यह प्रिंसिपल द्वारा द्वेषतावश किया जाता है, क्योंकि उनकी मंशा है कि स्कूल में कोई भी बजट आए तो उनका हिस्सा रहे। ऐसे में कोई उनका विरोध करता है तो नोटिस थमा दिया जाता है। कई बार पूर्व में भी ऐसा किया जाता रहा है, लेकिन इस बार सह नई पाया और साथी शिक्षकों से राय लेने के लिए ग्रुप में नोटिस डाला गया था।

इधर उनका बाथरूम उपयोग में लेने पर थमाया नोटिस : स्कूल की ही एक शिक्षिका को दिया नोटिस भी वायरल हुआ है, जिसमें लिखा है कि संस्थाप्रधान के कक्ष में जूते चप्पल पहनकर नहीं आए। उसके उपरात भी आप द्वारा इसकी पालना नहीं की जाती। यहां तक की बार बार कहने के बाद भी संस्थाप्रधान के कक्ष में बने बाथरूम का आप द्वारा उपयोग किया जा रहा है। यह आदेशों की अवहेलना है। अत: इसका जवाब दो दिनों के भीतर प्रेषित करें। अन्यथा आपके खिलाफ 17 सीसीए की कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी।

किसी से द्वेष नहीं, बस स्कूल में सफाई बनी रहे: प्रिंसिपल
प्रिंसिपल स्नेहलता मेहरा से बात की तो बताया कि स्कूल में सफाई के लिए इस प्रकार के आदेश दिए हैं। कार्यालय और कंप्यूटर रुम में कालिन बिछा हुआ है। जहां मैं स्वयं भी जूते बाहर निकालकर जाती हूं। ऐसे में मौखिक रुप से कई बार उन्हें अवगत कराया गया, लेकिन पालना नहीं की जाती। लिखित में इसलिए दिया गया है क्योंकि इसके कारण वो आदेश को गंभीरता से लें। यह सिर्फ स्कूल का आंतरिक स्तर का मामला है। स्कूल समय में ही मोबाइल का उपयोग कर यह आदेश वायरल करना कहां सही है। मेरा कोई व्यक्तिगत द्वेष नहीं है। क्या सभी अपने घर में भी जूते पहनकर रहते हैं क्या।

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