केरल से आए 20 मजदूर, 15 पैदल गांव गए क्योंकि प्रशासन ने नहीं की वाहन की व्यवस्था
केरल से ट्रेन में बैठकर पाली आए और वहां से रोडवेज के जरिए रविवार रात 1 बजे 20 मजदूर बांसवाड़ा एमजी अस्पताल पहुंंचे। अस्पताल मंे इन सब मजदूरों की जांच अौर स्क्रीनिंग की गई। साथ ही सभी के हाथ पर क्वारेंटाइन का ठप्पा लगाया और पर्ची दी गई। इसके बाद इन्हें अपने अपने गांव जाने के लिए कहा गया।
अस्पताल से बाहर आकर देखा तो रोडवेज की बस खड़ी नहीं थी। सभी मजदूर वहां से अपने गांव के लिए पैदल निकल गए। इसमें 15 मजदूर गणाऊ नाल, नादिया, टाडी महुड़ी और 5 बोड़ीगामा के थे। रात ढाई बजे दाहोद रोड नाका पर पहुंचे तो पुलिस ने रोककर पूछा कि पैदल क्यों जा रहे हो तो कहा कि जो बस अस्पताल छोड़ गई थी, जांच के बाद बाहर आकर देखा तो नहीं बस थी, इसलिए रात को हम सब पैदल ही गांव के लिए निकल गए। इस पर पुलिस के एक अधिकारी ने कंट्रोल रूम में फोन लगाकर जानकारी दी कि केरल से कुछ मजदूर पैदल ही गांव जा रहे हैं। इनके लिए कोई वाहन की व्यवस्था है या नहीं। इस पर कंट्रोल रूम से जवाब मिला कि देररात 2 बजे इनके लिए क्या व्यवस्था करे। इन मजदूरों मंे शामिल लक्ष्मण ने बताया कि पाली से दोपहर में बस मंे बैठे थे, रविवार रात 1 बजे बांसवाड़ा पहुंचे, तब तक प्रशासन की ओर से हमारे खाने पीने की कोई व्यवस्था नहीं की गई। जांच के बाद भूखे प्यासे ही हम पैदल निकले। वहां मौजूद पुलिस ने गणाऊ नाल, नादिया, टांडी महुड़ी के मजदूरों को तो पैदल ही नवागांव क्वारेंटाइन सेंटर जाने को कहा, वहीं बोड़ीगामा के 5 मजदूरों के लिए वाहन की व्यवस्था कर छुड़वाया।
सीएम के आदेश की हुई अवहेलना : पिछले दिनों सीएम अशोक गहलोत ने यह आदेश दिया था कि कोई भी मजदूर पैदल नहीं जाना चाहिए। उनके लिए प्रशासन को खाने पीने और वाहन की व्यवस्था करनी होगी। इसके बावजूद रविवार रात 2 बजे जिले के 20 मजदूर पैदल ही अपने-अपने घर जा रहे थे। जिसकी प्रशासन ने सुध नहीं ली।