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प्रताप सर्किल पर एएसपी समेत हथियारों से लेस टीम, 100 कदम की दूरी पर खुलेआम बिकी शराब

प्रताप सर्किल पर एएसपी समेत हथियारों से लेस टीम, 100 कदम की दूरी पर खुलेआम बिकी शराब
@HelloBanswara - -

बाँसवाड़ा शहर में चेन स्नेचिंग और लूट की वारदातों को रोकने और बदमाशों की पकड़ने के लिए पुलिस ने शुक्रवार शाम 6 बजे से प्रताप सर्किल पर हथियारों के साथ नाकाबंदी की। इस दौरान एएसपी सुधीर जोशी, सदर सीआई बाबूलाल मुरारिया के अलावा पुलिस कर्मी और क्यूआरटी के सशस्त्र जवान तैनात दिखे।

इस दौरान आने-जाने वाले वाहन चालकों को रोककर तलाशी ली जाने लगी। परन्तु सर्किल से कुछ कदम दूर मुख्य मार्ग पर एफएससी भोजनालय की आड़ में जमकर शराब बेची जाती रही। जाब्ते और भोजनालय के बीच की दूरी इतनी कम थी कि उसे चौराहे पर खड़े-खड़े भी साफ देखा जा सकता है। ढाबा संचालक का रौब देखिये कि पुलिस की इतनी नाकाबंदी के बाद भी वह बेखौफ शराब बेचता और परोसता रहा। बावजूद इसके पुलिस को अवैध शराब का यह अड्डा नजर नहीं आया। शराबी बाइक और कार लेकर आते, शराब खरीदते और पुलिस के सामने से निकलते रहे। यह हालत तब है जब हाल ही में कुशलगढ़ में एक शराब दुकान से पुलिस के बंधी लेने के दस्तावेज मिले है। भास्कर ने शहर पुलिस की आंखें खोलने के लिए न सिर्फ इस ढाबे से शराब खरीदी बल्कि, बोगस ग्राहक बनकर भीतर बैठ पूरा नजारा भी अपने खुफिया कैमरे में कैद किया। 

भास्कर का यह स्टिंग पुलिस और आबकारी अधिकारियों की मिलीभगत को साफ उजागर कर रहा है क्योंकि, मुख्य मार्ग पर सरेआम इस तरह भोजनालय की आड़ में शराब बेचना बिना इनके इशारे संभव नहीं है। हमारे संवाददाता बोगस ग्राहक बनकर एफएससी भोजनालय पहुंचे। कुछ ही दूरी पर पुलिस टीम मौजूद थी। काउंटर पर मौजूद लड़के से एक बीयर मांगी। जिस पर उसने 140 रुपए लेकर एक बीयर थमा दी। इस दौरान तीन और ग्राहक आए जिन्होंने भी बीयर खरीदी। थोड़ी देर बाद एक और संवाददाता ग्राहक बनकर गया। लेकिन, इस बार संवाददाता ने भीतर बैठने की बात कही तो उसे भोजनालय के भीतर भेज दिया गया। भीतर का नजारा ही अलग था। भोजनालय की आड़ में पूरा मयखाना सजा था। टेबलों पर भाेजन कम, शराब की बोतलें जमी थी। संवाददाता ने टटोलने के लिए नाश्ता देने आए युवक से पूछ लिया कि पास ही पुलिस है अगर आ गई तो मुश्किल हो जाएगी। इस पर युवक ने तैश से भरोसा दिया कि पुलिस ढाबे पर कभी नहीं आएगी। 

सब कहते हैं यह शराब ढाबा कभी बंद नहीं होता, एसपी मैडम आज नजरें आप पर टिकी हैं.... 

इन तीन की मिलीभगत के बिना संभव नहीं 

1. हाउसिंग बोर्ड पुलिस चौकी 

जहां यह ढाबा चल रहा है वह क्षेत्र हाउसिंग बोर्ड पुलिस चौकी एरिया में आता है। भजनालय के दूसरी गली में चौकी है। ऐसे में यह बात गले नहीं उतरती कि पुलिस को इस ढाबे के बारे में पता नहीं। 

2. आबकारी अधिकारी 

अवैध शराब बिक्री को रोकने का सबसे बड़ा जिम्मा आबकारी का है। भोजनालय से कुछ ही दूरी पर आबकारी अधिकारी का कार्यालय है बावजूद सालों से यहां अवैध तरीके से सरकारी दुकान की शराब बेची जा रही है। 

3. स्थानीय जनप्रतिनिधि 

खुलेआम इस तरह शराब बेचने और परोसने में कहीं ना कहीं स्थानीय पार्षद या दूसरे जनप्रतिनिधियों की ढिलाई ही कही जाएगी। इससे क्षेत्र में देररात तक शराबियों का जमावड़ा लगा रहता है। 

सामने सरकारी दुकान से लाया शराब, फिर अंदर बैठे लोगों को दी 

भोजनालय में सामने से ही सरकारी ठेके से सप्लाई दी जा रही थी। एक युवक बाइक पर बॉक्स में शराब लाकर बारी-बारी से सप्लाई दे रहा था। कुछ ही फासले पर पुलिस का पूरा जाब्ता तैनात था लेकिन इन शराब माफियाओं में कोई शिकन तक नजर नहीं आ रही थी। ढाबे पर पूर्व पार्षद भी शराब लेने आए। खास बात यह है कि एक के बाद एक कई ग्राहक शराब खरीदने आ रहे थे। इस दौरान वहां से गुजरने वाले राहगीर भी यहीं चर्चा करते हुए दिखे कि पुलिस आखिर वाहन चालकों की बजाय इन अड्डों पर जमा होने वाले नशेडिय़ों पर कार्रवाई क्यो नहीं करती। बताया जा रहा है कि जो जिस व्यक्ति का यह भोजनालय है वह पुलिस विभाग में काफी भीतर तक पैठ रखता है। पुलिस कर्मी भी इस भोजनालय पर कार्रवाई की हिमाकत नहीं करते। लंबे समय से यह मयखाना चलाया जा रहा है। शहर में सरकारी दुकान समय पर बंद हो सकती है लेकिन यह ढाबा संचालक की मर्जी पर ही खुलता और बंद होता है। 

 

By Bhaskar

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