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मुनि आर्जवनंदी का समाधिमरण, लौटते समय परिजनों की कार पेड़ से भिड़ी, समधन की मौत

Banswara
मुनि आर्जवनंदी का समाधिमरण, लौटते समय परिजनों की कार पेड़ से भिड़ी, समधन की मौत
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2 बजे चकडोल यात्रा, शाम को भीमपुर के पास हादसे में नातिन, नवासे समेत 6 घायल

आचार्य सुनील सागर महाराज के संघ में शामिल 84 साल के मुनि आर्जव नंदी का बुधवार को समाधि मरण हो गया। वे पिछले तीन माह से श्वास की समस्या से परेशान थे। इसके चलते वे दो दिन में केवल एक बार ही भोजन करते थे। बुधवार को उन्होंने केवल पानी ही ग्रहण किया।

इसके बाद सुबह 11 बजे उनका समाधी मरण हो गया। दोपहर में 2 बजे उनकी चकडोल यात्रा खांदू कॉलोनी स्थित समाधि स्थल पर ले गए। जहां उनका अंतिम संस्कार किया। उनकी अंतिम यात्रा में सलूंबर से लगभग 200 से 300 लोग उपस्थित थे। मुनि की अंतिम यात्रा में सभी साधु-साध्वी सम्मिलित हुए। इधर, उनके अंतिम यात्रा में शामिल होने आए उनके सांसारिक परिवारजन की कार लौटते समय शाम को भीमपुर में अनियंत्रित होकर पेड़ से जा टकराई। हादसे में उनकी बेटी शकुंतला की सास सलूंबर निवासी 70 वर्षीय नर्मदा पत्नी हीरालाल जैन की मौत हो गई। वहीं नातिन कविता, नवासे युवी और जमाई राकेश समेत 6 जने घायल हो गए।

हादसे में परिवार के 25 वर्षीय मीना पत्नी पवन, 30 वर्षीय राकेश पुत्र हिरालाल, 28 वर्षीय कविता पत्नी राकेश, 50 वर्षीय सोहनलाल पुत्र जीवराज, 8 वर्षीय युवी पुत्र राकेश और 25 वर्षीय चंद्रेश पुत्र कन्हैयालाल जैन घायल हुए है। जिन्हें एमजी अस्पताल ले जाया गया। हादसा इतना भयानक था कि टकराने पर कार के आगे के हिस्से के परखचे उड़ गए। दरवाजे जाम होने पर भीतर फंसे लोग चिल्लाने लगे। मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने उन्हें निकालने का प्रयास भी किया। वहीं कुछ ग्रामीणों ने पुलिस को इत्तला की। सूचना पर मौके पर पहुंची लोहारिया और भीमपुर पुलिस ने राहगीरों की मदद से घायलों को बाहर निकाला गया। इस दौरान मुख्य मार्ग पर जाम की स्थिति बन पड़ी। महाराज के समाधि दिवस में शामिल होने के लिए सलूंबर से दो बस और चार-पांच कार लेकर श्रद्धालु बांसवाड़ा आए थे। इसके अलावा संभाग के अन्य क्षेत्र से भी कुछ अनुयायी निजी वाहनों से उनके दर्शन करने आए थे।


गेहूं के व्यापारी थे, सात बेटे, 60 की उम्र में 1996 में ली मुनि दीक्षा
परिवार के लोगों का कहना है कि आर्जव नंदी महाराज बचपन से ही धार्मिक प्रवृति के थे। साथ ही युवा अवस्था में तो हर बार महाराज के प्रवचन सुनने के लिए बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ सहित कई जगहों पर चले जाते थे। उन्होंने अपने गृहस्थ जीवन में भी घर में रहते हुए ही करीब 14 वर्ष तक धर्म की साधना की। मुनि आर्जव नंदी का जन्म उदयपुर के सलूंबर में 1936 में हुआ था। जिन्होंने 60 वर्ष की उम्र मेंं 1996 में सलूंबर में ही आचार्य पद्मनंदी महाराज से मुनि दीक्षा ग्रहण की। मुनि आर्जव नंदी महाराज 4 साल से आचार्य सुनील सागर महाराज के संघ में शामिल हैं और दिसंबर से ही शहर में रह रहे थे। दीक्षा के बाद लगभग 24 वर्ष पूर्ण कर मुनि जीवन की कठिन चर्या को करते हुए उनका समाधि मरण हुआ। आर्जव नंदी महाराज के परिवार में एक उनका भाई और एक बहिन है। मुनि आर्जव नंदी महाराज के सात बेटे हैं। एडवोकेट हेमेंद्र जैन ने बताया कि मुनि दीक्षा लेने से पहले वे अनाज के व्यापारी थे। वे गेहूं का व्यापार का काम करते थे। परिवार के सदस्य बताते हैं की मुनि आर्जव नंदी महाराज दान पुण्य में हमेशा आगे रहते थे। घर में कोई भी मांगने के लिए आ गया हो उसे कभी खाली हाथ नहीं जाने दिया। साथ ही बच्चों को भी इस प्रकार की शिक्षा देते थे। मुनि आर्जव नंदी महाराज सरल सभाव के थे। साथ बालिकाओं पर शिक्षा पर जोर देते थे।

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