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जन्म से दाेनाें पैर नहीं थे, पिता के साथ साइकिल पर स्कूल पढ़ने जाती थी, पांच दिन पहले वेटलिफ्टिंग में जीता गाेल्ड

Banswara
जन्म से दाेनाें पैर नहीं थे, पिता के साथ साइकिल पर स्कूल पढ़ने जाती थी, पांच दिन पहले वेटलिफ्टिंग में जीता गाेल्ड
@HelloBanswara - Banswara -

जन्म से दोनों पैर नहीं। चलना-फिरना ताे दूर हिलने-डुलने के लिए भी परिजनों पर निर्भरता। बावजूद इसके 33 वर्षीय विमला नायक शिक्षा की राह पर चल पड़ी। लेकिन,अंतहीन बाधाओं के बावजूद विमला ने कुछ बनने की जिद नहीं छाेड़ी। अाज विमला गढ़ी के भीमपुर के सीनियर स्कूल में हिंदी की व्याख्याता है। कभी चपरासी पिता की मदद से स्‍कूल पहुंच पाने वाली विमला अब खुद अाेराें काे पढ़ा रही है। ऑपरेशन के बाद आज विमला न सिर्फ खुद के पैरों पर खड़ी हो पा रही है बल्कि खेल-कूद प्रतियोगिताओं में भी गोल्ड मेडल जीतकर ये साबित कर दिया है कि दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा होतो शारीरिक समस्याएं बाधा नहीं बनती। विमला से आज न सिर्फ महिलाएं बल्कि वें तमाम लोग भी सीख ले सकते जो शारीरिक रूप से अक्षम है और इसे खुद की सफलता के बीच कमजोरी मानते हो। विमला पुत्री हेमराज नायक मूल रूप से गनोड़ा के मोटाटांडा गांव की है। प्राथमिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल से ली। दिव्यांग होने से परिजन उसे उठाकर स्कूल छोड़ जाते और ले जाते। विमला की पढ़ाई के प्रति ललक देखकर परिजनों ने भी भरपूर सहयोग दिया। पिता हेमराज पास ही के बिछीवाड़ा सीनियर स्कूल में पीओन थे। बाद में विमला का इसी स्कूल में दाखिला करवा दिया गया। साइकिल पर पिता उसे स्कूल ले जाते। कक्षा 9वीं से बीए, बीएड ओर फिर एमए तक कि शिक्षा मीरा रेजीडेंसी बालिका विद्यालय ओर महाविद्यालय उदयपुर होस्टल से की। साल 2012 में उदयपुर नारायण सेवा संस्थान में दोनों पैरों का ऑपरेशन किया गया।

जिसके बाद विमला खुद के पैराें पर चलने-फिरने लगी ताे पीछे मुड़कर नहीं देखा। 19 जून, 2017 में भीमपुर उच्च माध्यमिक स्कूल में विमला की पहली बार शिक्षिका के पद पर नियुक्ति हुई। इसे दो साल बाद मई 2019 में गढ़ी अगरपुरा गांव के हितेश नायक के रूप में विमला को जीवन साथी मिला और शादी कर ली।

खेल के बाद अब रीट की दे रही निशुल्क काेचिंग
विमला की पढ़ाई अब भी जारी है। व्याख्याता के पद होते हुए विमला अब हिंदी में पीएचडी कर रही है। नियुक्ति से पहले सीनियर स्कूल मोटाटांडा में 8 महीने तक बच्चो को फ्री कोचिंग दी। लोहारिया में भी कई विद्यार्थियों को रीट की फ्री कोचिंग देकर प्रोत्साहित किया। इधर, भीमपुर सीनियर स्कूल के संस्था प्रधान वासुदेव पंड्या ने बताया कि विमला नायक ने पिछले साल हिंदी विषय का 100 प्रतिशत रिजल्ट रहा है। बकौल विमला का कहना है कि शुरुआती जीवन संघर्षमय रहा और गरीबी में गुजरा। लेकिन, अागे का जीवन बेहतर जीने की जिद की अाैर पढ़ाई जारी रखी। इसके पीछे पिता हेमराज ने हमेशा प्रोत्साहित किया। महिला ने कहा कि जब लगे की सबकुछ खत्म हो गया तभी ये समझ लेना चाहिए कि हमें कुछ नया और बेहतर करने का अवसर मिला है। विमला खेल में भी अपना लाेहा मनवा रही है। इसी महीने जाेधपुर में हुई राज्य स्तरीय पेरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पावर वेटलिफ्टिंग, 2020 में 50 किलाेभार वर्ग में गाेल्ड मेडल जीता। साल, 2016 में गोल्ड मेडल अाैर सिल्वर मेडल से सम्मानित हाे चुकी है जोकि एथेलेटिक्स, ज्वेलन थ्रो, डिस्क थ्रो, शॉटपुट (गोला फेंक) आदि खेलो में अच्छा प्रदर्शन रहा। इधर वर्ष 2017, 18, ओर 2019 तीनों सालाें में पाॅवर लिप्टिंग राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में नेशनल स्तर पर 58 केजी वेट के तहत राज्य स्तर पर तीसरी पोजिशन के तहत हाल ही में गोल्ड मेडल से समान्नित किया गया।

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