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नागरिकता बिल को जनआंदोलन बनाएगा संघ

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नागरिकता बिल को जनआंदोलन बनाएगा संघ
@HelloBanswara - National -

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उसके अनुषांगिक संगठन नागरिकता संशोधन बिल (सीएबी) को जनआंदोलन बनाने की तैयारी कर रहे हैं। दरअसल संघ की कोशिश इस विधेयक को बंटवारे और 1971 में बांग्लादेश लिब्रेशन वॉर के दौरान 'हिंदुओं के लिए हुई ऐतिहासिक गलती' को ठीक करने के तौर पर पेश करने की है। 

आरएसएस के एक नेता की मानें तो सीएबी को सरकार और हिंदू समाज के 'संवैधानिक और नैतिक दायित्व' के रूप में पेश किया जाएगा। संघ के एक नेता ने बताया, 'हम चाहते हैं कि लोग सीएबी और एनआरसी के बीच का अंतर समझें और हिंदू शराणार्थियों को बांग्लादेश घुसपैठियों से न जोड़ें।' संघ अब इस मामले को लेकर सांसदों, लेखकों, रणनीतिकारों और बुद्धिजिवियों तक पहुंचने की तैयारी कर रहा है। 

असम में जारी हुई एनआरसी लिस्ट में बड़ी संख्या में हिंदुओं के बाहर होने के बाद आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा था कि किसी हिंदू को यह देश नहीं छोड़ना होगा। भागवत के इस बयान के बाद ही संघ ने यह योजना बनाई है। संघ ने अपने नेताओं से इस संदेश को आगे ले जाते समय बेहद सावधानी बरतने को कहा है। इस मामले पर उत्तर पूर्वी राज्यों में विरोध होने की काफी आशंका है।

आरएसएस के एक नेता ने इकॉनमिक टाइम्स से बातचीत में कहा, 'हमने बंटवारे के दौरान लोगों के ट्रांसफर की बात नहीं की है। जब पाकिस्तान और बांग्लादेश ने इस्लामिक देश बनने का फैसला किया, उस समय भारत धर्मनिरपेक्ष बना रहा।' आरएसएस का कहना है कि पाकिस्तान में सिंध के मेघवाल और बांग्लादेश के नामशुद्रास उन समुदायों में से एक हैं, जिन्हें न सिर्फ भारत द्वारा सुरक्षा देने की जरूरत है बल्कि उनके संघर्ष के लिए पहचान देने क भी जरूरत है।

हाल में हुई आरएसएस की बैठकों में तय किया गया था कि जब तक अयोध्या और कश्मीर का मामले का समाधान नहीं हो जाता, तब तक एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए। ऐसा माना जा रहा है कि सीएबी से एनआरसी लागू करने में आसानी होगी।

 

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