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गुजरात वाले हिस्से में पक्की सड़कें, गार्डन - राजस्थान के हिस्से में बनाई सिर्फ पगडंडी 

Banswara
गुजरात वाले हिस्से में पक्की सड़कें, गार्डन - राजस्थान के हिस्से में बनाई सिर्फ पगडंडी 
@HelloBanswara - Banswara -

चिराण द्विवेदी/विजयपाल डूडी
मानगढ़ धाम। सूनसान रहने वाली यह पहाड़ी फिलहाल गुलजार है। क्योंकि, पीएम नरेंद्र मोदी 1 नवंबर को यहां आ रहे हैं। गांव में घरों से लेकर चौपाल तक मोदी के दौरे की चर्चाएं हैं। सभी को उम्मीद है कि इस दौरे पर मोदी मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करेंगे। इसके अलावा धाम और आस-पास के विकास को लेकर भी बड़ी घोषणाएं होगी। कयास का बाजार गर्म है। 

यहां पुलिस के भारी बंदोबस्त और जगह-जगह अधिकारियों के कैंप लगे हैं। लोगों से बात की तो पीएम के दौरे को लेकर महिलाएं और बच्चे भी उत्साहित नजर आए। सभा के लिए टोलियां तैयार हो रही हैं। धाम पर गत एक सप्ताह से चल रही तैयारियों को देखने के लिए भी सुबह-शाम आस- पास के लोग उमड़ रहे हैं। दरअसल, मानगढ़ धाम आदिवासी वोट बैंक के लिए राजनीतिक दलों के केंद्र में रहा है। पीएम मोदी की यात्रा को भी कांग्रेस राजनीति से जोड़ कर देख रही है। भाजपा और कांग्रेस नेता यहां विकास के लिए अपने-अपने दावे करते रहे हैं। पर, राजस्थान के हिस्से वाले मानगढ़ में हालात उलट हैं। यहां के ग्रामीणों का कहना है कि मानगढ़ गुजरात के लिए विरासत और राजस्थान के लिए महज सियासत का केंद्र रहा है। मानगढ़ बल्कि पास के ही राजस्थान के गांव ढालनिया पाड़ा और गुजरात के गांव कुंडा में जाकर लोगों से यहाँ के विकास पर उनकी राय जानी। 

विकास के नाम पर...गुजरात  के लिए विरासत और राजस्थान के लिए सियासत

गुजरात बांडर का आखिरी कुंडा गांव


चिकित्सा ओर शिक्षा की बेहतर सुविधाएं

यहां अधिकांश लोग खेती कर अपना गुजारा करते हैं, कुछ लोग सरकारी नौकरी में भी हैं। गांव में कक्षा 8वीं तक का स्कूल है। इसके बाद आगे पढ़ने के लिए पास ही गांव में सकल हैं। गांव में अधिकांश लोगों को प्रधानमंत्री आवास प्राप्त हो चुके  हैं। इलाज के लिए गांव में ही स्वास्थ्य केंद्र हैं और समय पर राशन पानी का भी इंतजाम गांव में ही हैं। खेती के लिए यहां बैकवाटर के पानी का उपयोग किया जाता रहा है। फतेहपुरा के सुरेश गरासिया बताते हैं कि मोदी के बतौर सीएम रहते ही यहां सभी मूलभूत सुविधाएं मिलनी शुरू हो गई थीं। 

राजस्थान बॉर्डर का आखिरी गांव ढालरिया पाड़ा

सिंचाई के लिए पानी के इंतजाम नहीं
शंभू पारगी ने बताया कि ढालरिया पाड़ा गांव में उनका परिवार 85 साल से निवास कर रहे हैं। आज भी मजदूरी के लिए गुजरात जाते हैं। गांव में पिछले कुछ साल में हैंडपंप और बोरवेल की खुदाई होने से पेयजल संकट तो मिटा है, लेकिन सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाता। तीन सालों से प्रधानमंत्री आवास के लिए आवेदन कर रखा है, अब तक आवास नसीब नहीं हुआ। उज्जला योजना के नाम पर पहली बार गैस सिलेंडर तो मुफ्त में मिल गया, लेकिन अब हर दो महीनों में  900-1000 रुपए गैस रिफिल के चुकाने पड़ते हैं।

धाम पर राजस्थान के भाज में बनी वन चैकी तक जाने वाला कच्चा रास्ता।

राजस्थान : न पीने का पानी, न शोचालय
मानगढ़ का 80% हिस्सा राजस्थान के पास है। जहां डवलपमेंट के नाम पर सड़क, शहीद स्मारक और संग्रहालय तो बन गए हैं। लेकिन मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलने के कारण आवाजाही कम है। लोग गोविंद गुरु की धूणी पर दर्शन कर गुजरात के हिस्से की तरफ लौट जाते हैं, जहां बन और व्यू प्वाइंट पर जाकर सेल्फी और फोटो सेशन करते हैं। बांसवाड़ा के भाग में बना संग्रहालय कभी कभार ही खुलता है। कहीं कोई ऐसी जगह नहीं, जहां दो पल छाया में बैठ सकें। धाम पर एक वन विभाग ने चौकी ते स्थापित की है, लेकिन वहां जाने का मार्ग खस्ताहाल है। शहीद स्मारक के पास भी रुकने के लिए जगह नहीं बनाई। लोगों का कहना है कि विकास के नाम पर पैसा तो आता है, लेकिन काम नहीं होता है। मोदी इस बार राजस्थान आ रहे हैं। उम्मीद हे कि अब यहां की स्थितियां बदलेंगी।

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