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मुगल आक्रांताओं ने तलवार से किया था शिवलिंग पर वार, खंडित हुआ तो नाम रखा खंडेश्वर महादेव

Banswara
मुगल आक्रांताओं ने तलवार से किया था शिवलिंग पर वार, खंडित हुआ तो नाम रखा खंडेश्वर महादेव
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बांसवाड़ा जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूरी पर स्थित गांव सियापुर में श्री खंडेश्वर महादेव के अतिप्राचीन काल का मंदिर है। गांव के इंजीनियर जगदीश पटेल ने बताया कि इस मंदिर को प्राचीन समय में विदेशी मुगल आक्रांताओं ने खंडित किया था। तब गर्भगृह में स्थित शिवलिंग पर तलवार से वार किया था, जिसका निशान शिवलिंग पर नजर आता था। बाद में श्रद्धालुओं ने खंडित शिवलिंग को ठीक करवा कर विधिविधान पूर्वक स्थापित करवाया।

वहीं मंदिर का वर्ष 2018 में जीर्णोद्धार किया है। इस मंदिर का उल्लेख अरथूना के शिलालेख में भी वर्णित है। मंदिर का निर्माण 11वीं या 12वीं शताब्दी के आस पास होना माना जाता है। श्रद्धालुओं ने बताया कि प्राचीन उर्थूणक और वर्तमान में अरथूना में सर्वाधिक प्राचीन शिवालयों की श्रृंखला है, जहां हनुमान मंदिर के सामने खुले में बड़ा शिवलिंग भी है। यहां के शिलालेख में सियापुर के खंडेश्वर शिवालय का उल्लेख मिलता है। सियापुर में स्थित खंडेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह में 3 फीट से भी ज्यादा बड़ा शिवलिंग है।

जिसकी जलाधारी 6 फीट गोलाई की है। यह शिवलिंग गुजरात के सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की तरह है। यहां के विक्रम संवत् 1136 तद्नुसार सन् 1080 ई. के अरथूना मंदिर स्थित शिलालेख के अनुसार इसका निर्माण वागड़ के परमार शासकों ने करवाया था। शृंगारित खंडेश्वर महादेव। ग्रामीणों ने बताया कि शीतला माता मंदिर के सामने प्राचीन सभ्यता थी। जहां आज भी खुदाई में ईंटें, मिट्टी के घड़े, मूर्तियां आदि अवशेष आज भी मिलते हैं।

जिससे ये अनुमान लगाया जा सकता है कि यह मंदिर भी उस सभ्यता काल में निर्मित होगा। मान्यता: खंडेश्वर महादेव मंदिर में श्रावण मास में भक्तों का तांता लगा रहता है। रोजाना सुबह शाम आरती एवं विशेष पूजा अर्चना होती है। श्रद्धालुओं की मान्यता है कि खंडेश्वर महादेव की पूजा अर्चना एवं दर्शन करने से भक्तों की पीड़ा दूर होती है।

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