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एमपी में पलायन जारी:मंत्री मालवीया व बामनिया अपने ही विधानसभा क्षेत्रों में ढाई साल बाद भी नहीं दिला पाए औद्योगिक क्षेत्र के लिए जमीन

Banswara
एमपी में पलायन जारी:मंत्री मालवीया व बामनिया अपने ही विधानसभा क्षेत्रों में ढाई साल बाद भी नहीं दिला पाए औद्योगिक क्षेत्र के लिए जमीन
@HelloBanswara - Banswara -
  • बागीदाैरा, आनंदपुरी और छाेटी सरवन के लिए सीएम गहलोत ने की थी बजट में घोषणा
  • प्रशासन का तर्क- पहाड़ी इलाके के कारण 150 हैक्टेयर समतल जमीन नहीं मिल रही, नया इंडस्ट्रीयल क्षेत्र नहीं बनने से एमपी में पलायन जारी

आदिवासी बहुल बांसवाड़ा में रोजगार सबसे बड़ी चुनौती है। मुख्यमंत्री अशाेक गहलोत ने ढाई साल पहले जिले में रोजगार पैदा करने की मंशा से बागीदाैरा, आनंदपुरी और छाेटी सरवन क्षेत्र में 3 औद्योगिक इकाइयां विकसित करने की घोषणा की, लेकिन ढाई साल बाद भी इनके लिए जमीन का चयन तक नहीं हाे पाया है। यह स्थिति तब है जब यह नई इकाइयां कैबिनेट मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीया और राज्य मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया के विधानसभा क्षेत्र में लगनी है। स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की ढिलाई की वजह से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा करने की सीएम की मंशा पूरी हाेती नहीं दिख रही। इन तीनों ही नई इंडस्ट्री के डवलपमेंट से स्थानीय स्तर पर 20 हजार से ज्यादा लाेगाें काे रोजगार मिलने की संभावना है।

दरअसल, मुख्यमंत्री ने फरवरी, 2020 में अपने बजट घोषणा में बांसवाड़ा में 3 नए औद्योगिक क्षेत्र विकास का प्रावधान रखा था। रीकाे काे इन 3 नई ईकाइयों के लिए 50-50 हैक्टेयर के हिसाब से कुल 150 हैक्टेयर जमीन समतल चाहिए। स्थानीय प्रशासनिक स्तर पर नाकाफी प्रयासों और आपसी तालमेल की कमी के चलते एक भी इंडस्ट्रीयल एरिया के लिए अभी तक जमीन आवंटित नहीं हाे पाई है। प्रशासन का कहना है कि उन्हें इन जगहों पर जरूरी समतल जमीन ही नहीं मिल रही। जबकि इन नए औद्योगिक क्षेत्रों के विकास का इंतजार हजाराें स्थानीय बेरोजगार भी कर रहे हैं। छाेटी सरवन इंडस्ट्रीयल एरिया मध्यप्रदेश सीमा के नजदीक है। वहीं आनंदपुरी और बागीदौरा इंडस्ट्रीयल एरिया गुजरात सीमा से लगता है। तीनों ही इंडस्ट्रीयल एरिया का डवलपमेंट हाेने पर मजदूरों का पलायन भी रुकेगा।

समतल जमीन मिले तो 3 नई इकाई लगे, इससे 20 हजार युवाओं को मिलेगा रोजगार

रीकाे के महाप्रबंधक विक्रमसिंह निमेष ने बताया कि हम ताे शुरू से ही काेशिश कर रहे हैं कि जल्द ही सीएम की मंशा अनुरूप तीनों ही इकाइयां विकसित की जाए, लेकिन स्थानीय स्तर पर हमें जमीन ही उपलब्ध नहीं करवाई जा रही। हमें नए औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के लिए खास तौर से समतल जमीन और सरलता से आवागमन वाले क्षेत्रों में 50 हैक्टेयर समतल तक जमीन की आवश्यकता है, लेकिन हमें संबंधित क्षेत्र के पटवारी द्वारा बताया कि उनके पास जमीन उपलब्ध नहीं है। अभी भूमि चिह्नित नहीं हो पाई है, लेकिन हमारा प्रयास जारी है।

दाेनाें एसडीएम बोले-पटवारियों की मीटिंग करके जमीन का समाधान निकालेंगे

रीकाे महाप्रबंधक का काफी समय पहले पत्र मिला था, लेकिन जैसी जमीन वह एक साथ चाहते हैं वैसी मिल नहीं रही है। मैंने दानपुर थर्मल प्लांट की जमीन का भी विकल्प देखा है। प्रयास कर रहे हैं। मनाेज साेलंकी, एसडीएम, छाेटी सरवन

दोनों क्षेत्रों में एक साथ बड़े पैमाने पर समतल जमीन उपखंड मुख्यालयों के पास उपलब्ध नहीं है। समतल जमीन अलग-अलग जगह पर दूरी पर स्थित है और पहाड़ी एरिया भी अधिक है। मेरा ये प्रयास रहेगा कि रीको महाप्रबंधक चाहे तो एक दिन बागीदौरा, आनंदपुरी के सभी पटवारियों की एक साथ मीटिंग रख कर इस मामले का समाधान निकाला जा सकता है। सीएल शर्मा, एसडीएम, बागीदौरा और आनंदपुरी

तीनों उपखंडों में जमीन की वास्तविक स्थिति

उपखंड जमीन कृषि अयोग्य जमीन उसर भूमि

आनंदपुरी 33693 3314 696

बागीदौरा 30128 3996 1164

छोटीसरवन 37759 11294 6717

(जमीन हैक्टेयर में)

जमीन के लिए प्रयास कर रहे हैं : मालवीयाप्रारंभिक स्तर पर समतल जमीन एक ही स्थान पर तलाशने में दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन हमारा यही प्रयास रहेगा कि इस संबंध में एक बार और नए सिरे से प्रयास कर उपयुक्त जमीन तलाश कर रीकाे आवंटित करवाई जा सके। महेंद्रजीत सिंह मालवीया, कैबिनेट मंत्री

रिकाॅल : सरेड़ी-ऊटी क्षेत्र में भी नहीं मिल पाई थी जमीन

जिले में अभी परतापुर, पीपलवा, ठीकरिया प्रथम और द्वितीय औद्योगिक क्षेत्र हैं जहां हजाराें लाेगाें काे रोजगार मिल रहा है। इससे पहले भी गढ़ी उपखंड में सरेड़ी-उटी में नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने रीकाे के अधिकारियों ने प्रयास किए थे, लेकिन वन विभाग से अनापत्ति पत्र नहीं मिलने से उस समय भी जमीन नहीं मिल पाई थी। राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के चलते जिले में परमाणु और कोल बेस्ड अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल बिजली घर, नेशनल हाईवे, रेलवे परियोजना से संबंधित जमीन अधिग्रहण और अन्य कार्याे में काफी देरी हाे गई, जिस वजह से यह येाजनाएं भी सालाें बाद भी जिले में मूर्त रूप नहीं ले पाई है।

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