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बांसवाड़ा जिले में 5 लाख किसान खेतों में जुताई के साथ तैयार, 2 लाख 35 हजार हैक्टेयर में लहलहाएगी फसल

Banswara
बांसवाड़ा जिले में 5 लाख किसान खेतों में जुताई के साथ तैयार, 2 लाख 35 हजार हैक्टेयर में लहलहाएगी फसल
@HelloBanswara - Banswara -

खेत की बीमार मिट्‌टी के उपचार को समझे बिना ही बांसवाड़ा के साढ़े 5 लाख किसानों ने नई फसल की तैयारी कर ली है। मानसून की दस्तक के साथ खरीफ फसलों को लेकर खेतों में जुताई के बाद बुवाई भी तेजी से हो रही है। बहुत सी जगहों पर बीज के साथ में खेतों में खाद भी डल चुकी है।

दूसरी ओर जिले में कृषि को बढ़ावा देने वाले विभागीय जिम्मेदार अब तक खेतों से मिट्‌टी के नमूने जुटा रहे हैं, जिनके परिणाम महीनों बाद मिलेंगे। तब तक घुटनों की ऊंचाई छूने वाली फसल को दूसरी बार की खाद भी मिल जाएगी।

कोरोनाकाल के चलते मिट्‌टी के नमूनों को लेने में हुई देरी से जिले के 2 लाख 35 हजार हैक्टेयर में होने वाली खेती का भविष्य अंधकार में है। स्वयं किसान भी इससे अनभिज्ञ हैं। हालांकि, विभागीय दावा है कि उन्होंने नमूनों की जांच संख्या बढ़ा दी है। समय से पहले उनकी ओर से किसानों को जांच रिपोर्ट के साथ मिट्‌टी के उपचार के तरीके भी बता दिए जाएंगे। लेकिन, एकमात्र लैब की समस्याओं को देखकर विभाग का यह लक्ष्य पूरा होता नहीं दिख रहा है। गौरतलब है कि खरीफ के नाम पर बांसवाड़ा में मक्का, कपास, उड़द, धान और सोयाबीन की फसल बोई जा रही है।

खेत में जुताई करता हुआ किसान।
खेत में जुताई करता हुआ किसान।

दो माह पहले लेने थे नमूने
बांसवाड़ा की बात करें तो यहां कृषि (विस्तार) विभाग के पास करीब 154 कृषि पर्यवेक्षक हैं। पर्यवेक्षकों पर किसान हित को ध्यान में रखकर मिट्‌टी की जांच कराने की जिम्मेदारी है। ताकि नई फसल से पहले खेत की बीमार मिट्‌टी की जानकारी सामने आ जाए। इसके लिए रबी की फसल कटने के ठीक बाद यानी मार्च-अप्रैल में उन्हें खेतों से मिट्‌टी के नमूने लेने थे। लेकिन, कोरोनाकाल में सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया। घर बैठने की मजबूरी से पर्यवेक्षक उनके इलाके वाले खेतों में नहीं पहुंच सके।

अब अनलॉक के साथ खेतों वाली दौड़ तेज हो गई है, लेकिन कलेक्ट्रेट परिसर की एक मात्र लैब में जांच की लंबी कतार से इन जांचों का भविष्य महीनों बाद सामने आएगा। तब तक किसान की फसलें लगभग आधी तैयार हो जाएगी। विभाग स्तर पर एक-एक कृषि पर्यवेक्षक को मिट्‌टी के 50-50 नमूनों की जांच करानी होती है। लैब के आंकड़ों पर गौर करें तो यहां अब तक 4 हजार 850 नमूने अब तक आ चुके हैं, जबकि परिणाम 550 नमूनों के ही जारी हुए हैं।

बांसवाड़ा में मिट्‌टी जांचने वाली लैब के हाल।
बांसवाड़ा में मिट्‌टी जांचने वाली लैब के हाल।

बिन बिजली लैब भी बीमार
साप्ताहिक अवकाश, त्यौहारी छुट्‌टी और राजकीय अवकाश के बीच मिट्‌टी की गुणवत्ता जांचने वाली विभाग की एक मात्र लैब महीने में 20 दिन ही चल पाती है। इसमें भी बिजली कटौती के दौरान कई बार पूरा दिन खाली निकल जाता है। इन्वर्टर और डीजी सेट के अभाव में यहां काम नहीं हो पाता। दूसरी ओर लैब की स्थिति देखें तो पता चलता है कि आधुनिक युग में लैब में कामकाज सदियों पुराने ढर्रे पर है। संशाधनों के नाम पर पुराने उपकरण हैं। हालांकि, विभाग बीमार लैब से भी प्रतिदिन 100 नमूनों की जांच के दावे करता है। वहीं जिम्मेदार अब इस लैब से प्रतिदिन 150 नमूनों के परिणाम सामने लाने का दम भर रहे हैं।

बांसवाड़ा की लैब में तैयार हो रहा डिस्टिल वाटर।
बांसवाड़ा की लैब में तैयार हो रहा डिस्टिल वाटर।

उपकरण मौजूद, परिणाम ऐसे
विभाग की लैब में वर्तमान में कैलोरी मीटर, फ्लैम फोटोमीटर, ओसी (आर्गेनिक कार्बन), सोइल पीएच, ईसी (इलेक्ट्रोनिक कन्डेक्टिविटी), एएएस, माइक्रोन न्यूट्रीरिएन्ट, जिंक, आयरन, कॉपर और मैगनिज को जांचने वाले उपकरण पड़े हुए हैं। इनसे मिट्‌टी के भीतर छिपे रसायन की जानकारी मिलती है। लेकिन, लैब में यूरिया के अधिक उपयोग से खराब हुई मिट्‌टी की जानकारी नहीं मिलती है। इसके लिए किसान को बोरवट कृषि अनुसंधान केंद्र तक दौड़ लगानी होती है।
तय करेंगे प्राथमिकता
सहायक निदेशक (कृषि विस्तार) छगनलाल दायमा की मानें तो बांसवाड़ा और घाटोल रेंज में ही बुवाई और खाद देने का सिलसिला शुरू हुआ है। यहां के नमूनों को प्राथमिकता दी जा रही है। छोटी सरवन जैसी जगहों पर अभी जुताई ही शुरू हुई है। उनकी रिपोर्ट थोड़ी देर से भी मिलेगी तो समस्या नहीं आएगी। कृषि पर्यवेक्षक व्यक्तिगत स्तर पर भी किसानों से मिलकर उन्हें जानकारी दे रहे हैं।

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