जितने की फसल नहीं बची, उससे ज्यादा मेहनताना देना पड़ रहा
किसान अनिल कुमार पाटीदार ने बताया कि हमारी जमीन डूब क्षेत्र से दूर है और खाते की जमीन है। जैसे-तैसे आसपास के नाव चलाने वालों को बुलाकर और उन्हें 500 रुपए रोज मेहताना देकर भुट्टे निकलवाने की कोशिश की है। अनुमान के आधार पर करीब 20 हजार की फसल बची है, 20 हजार बुवाई में लग गए।
60 बीघा मक्का की फसल इस समय पानी में पूरी तरह खत्म हो चुकी है। इससे किसानों को लाखों का नुकसान हुआ है। अभी सर्वे बाकी है।
बांसवाड़ा | पोस्ट मानसून की बारिश ने मक्के की फसल तबाह कर दी है। हालात ये है कि 6 फीट की मक्का की फसल 5 फीट तक पानी में पूरी तरह डूब चुकी है। अमरपुरा और खांदू गांव क्षेत्र में किसानों ने मक्का की बुवाई बड़े पैमाने पर की थी, लेकिन अब हालात ये है कि नाव के सहारे पानी में सड़ चुके एक-एक मक्का को चुनना पड़ रहा है। रतनपुरा, कालिया, बदरेल खुर्द सहित अबापुरा पंचायत समिति के क्षेत्राें फसल की खूब बर्बादी हुई है।
05 फीट तक डूब चुकी है फसल। जबकि मक्का का पौधा करीब 6 फीट तक होती है। यानी एक फीट ही पानी कम है। इसलिए कुछ ही मक्का बचा है।