नगर परिषद में महिलाओं का झाड़ू के साथ प्रदर्शन: शहरी नरेगा श्रमिकों को कम मिला भुगतान, बैंक डायरी लेकर पहुंची महिलाएं
इंदिरा गांधी शहरी नरेगा की महिला श्रमिकों ने सोमवार को नगर परिषद बांसवाड़ा के गेट पर झाड़ू के साथ प्रदर्शन किया। नगर परिषद प्रशासन के खिलाफ महिलाओं ने नारेबाजी भी की। श्रमिक महिलाओं का आरोप है कि उनके खाते में सरकार की तय न्यूनतम मजदूरी के हिसाब से भुगतान नहीं हुआ है। उनके साथ नाइंसाफी हुई है। इस दौरान बैंक डायरी लेकर नगर परिषद पहुंची महिलाओं ने फिल्ड पर काम भी नहीं किया। बाद में परिषद प्रशासन की ओर से उन्हें समझाने की भी कोशिश हुई, लेकिन महिलाएं एक घंटे से ज्यादा समय तक मौके पर डटी रही।
दरअसल, इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत नगर परिषद बांसवाड़ा के 60 वार्डों में महिलाएं पुरुष राेजगार के लिए काम कर रहे हैं। गाइड लाइन के हिसाब से प्रति श्रमिक प्रतिदिन का 259 रुपए भुगतान होगा, लेकिन ग्राम पंचायतों की ही तरह यहां पर भी मेजरमंेट के हिसाब से श्रमिकों का भुगतान बनता है। अभी अक्टूबर 2022 के दूसरे पखवाड़े का श्रमिकों को भुगतान हुआ है। इसमें अपेक्षा के हिसाब से श्रमिकों के खाते में कम भुगतान गया है। इसी बात को लेकर महिलाओं ने यहंा मोर्चा खोल दिया। उन्होंने बाकी का भुगतान कराने के लिए नारेबाजी भी की।
शहरी नरेगा के आंकड़ों का सच
- बांसवाड़ा नगर परिषद में कुल वार्ड 60 हैं। सभी जगहों पर नरेगा में साफ सफाई जैसे दूसरे काम हो रहे हैं।
- वर्तमान में 722 लेबर के अलावा 50 मेट प्रतिदिन के हिसाब से काम कर रहे हैं।
- दिए हुए काम को पूरा करने पर मेजरमेंट के हिसाब से प्रति मजदूर 259 रुपए का भुगतान हो रहा है।
- संडे के दिन काम नहीं होने से श्रमिकों की छुट्टी रहती है। इस दिन का वेतन नहीं मिलता है।
- मजदूरों को काम के बदले हर पखवाड़े यानी 15 दिन के हिसाब से भुगतान होता है।
दिवाली पर छुट्टी पर थी लेबर
इधर, मामले को लेकर परिषद आयुक्त प्रभुलाल भाभोर ने बताया कि अभी मजदूरों को अक्टूबर माह के दूसरे पखवाड़े का भुगतान हुआ है। यानी इनको 15 दिन का पेमेंट हुआ है। चूंकि इस दौरान दिवाली पर लेबर छुट्टी पर थी। वहीं एक-दो संडे भी आ गए। इस कारण इनको केवल 8 दिन का पेमेंट मेजरमेंट के हिसाब से हुआ है। मजदूरों को ये भुगतान कम लग रहा है। उनको वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया है।