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प्रसूता को रैफर करते ही हटाई ऑक्सीजन, मौत, 3 दिन में दूसरी घटना

प्रसूता को रैफर करते ही हटाई ऑक्सीजन, मौत, 3 दिन में दूसरी घटना
@HelloBanswara - -

Banswara November 14, 2018 एमजी अस्पताल में मंगलवार तड़के एक प्रसूता को गंभीर स्थिति में रैफर करने के दौरान ऑक्सीजन सिलेंडर हटाने और समय पर एलएस एंबुलेंस के नहीं मिलने से मौत हो गई। परिजनों ने अस्पताल में चिकित्सकों की लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा खड़ा कर दिया। परिजन दोषी के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर मंगलवार तड़के तक हॉस्पिटल में डटे रहे। मेडिकल बोर्ड से मृतका का पोस्टमार्टम करवाया। इधर, इस मामले में अपने बचाव में अस्पताल प्रबंधन का तर्क है कि रैफर मरीज को समय पर नहीं ले जाने से प्रसूता की मौत हुई है। आपको बता दें कि 3 दिन पहले भी एक मरीज की ऑक्सीजन नहीं मिलने से मौत हो गई थी। परिजनों ने बताया कि रविवार रात 1.30 बजे अगरपुरा निवासी नीता प|ी शुभम यादव को अस्पताल में लाया गया। डॉ. पवन शर्मा ने कहा कि डिलेवरी सिजेरियन करनी पड़ेगी। सुबह 9 बजे का समय देकर भर्ती कर दिया। सुबह 11 बजे ऑपरेशन किया गया। उसके दो घंटे बाद भी बाहर नहीं लाया गया। पूछने पर डॉक्टरों ने कहा कि प्रसूता की बच्चादानी सिकुड़ नहीं रही है और ब्लीडिंग हो रही है। बच्चादानी बाहर निकालनी पड़ेगी। परिजनों से 2 यूनिट ब्लड मंगवाया और बच्चादानी निकालकर करीब 3 बजे प्रसूता को वार्ड में शिफ्ट कर दिया। उसके बाद भी मरीज की स्थिति में सुधार नहीं अाया और शाम 7 बजे यूरीन आना भी बंद हो गया। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर डॉक्टर ड्रिप चढ़ाकर चली गई। 

एंबुलेंस दूसरे मरीज को लेकर गई थी: पीएमओ 

जवाब देने तक से डॉक्टर ने किया इनकार 

प्रसूता का इलाज करने वाली गायनिक डॉ. पुष्पा चरपोटा जवाब देने से बचती रही। इसे पूरे मामले के बारे में पूछा गया तो उसने साफ शब्दों में कुछ भी बोलने से मना कर दिया। कहा कि मैं कुछ भी नहीं बताऊंगी। ऐसे सवाल यह है कि जब कोई गलती नहीं हुई है तो जवाब देने से क्यों कतरा रहे हैं। 

हम एंबुलेंस की व्यवस्था कर रहे थे, स्टाफ ने ऑक्सीजन हटाकर नीचे भेज दिया 

मृतका के पति शुभम और परिजन दीक्षित ने कहा कि समय पर एएलएस एंबुलेंस नहीं मिली। एंबुलेंस की व्यवस्था कर ही रहे थे कि प्रसूता को वहां के स्टाफ ने बिना ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था किए स्ट्रैचर से नीचे भेज दिया, ऑक्सीजन के अभाव में उसकी मौत हो गई। 

बड़ा सवाल: वार्ड में ही मौत तो क्यों कर दिया रैफर 

माया यादव ने बताया कि ऑक्सीजन निकालने के बाद नीचे आते-आते प्रसूता की मौत हो गई थी। पूरा शरीर ठंडा पड़ गया था। नीचे आने पर परिजनों ने ऑक्सीजन न लगाने का विरोध किया तो डॉ. पुष्पा चरपोटा ने प्रसूता को वापस ऊपर बुलाया और ऑक्सीजन लगाकर हार्ट पंपिंग भी की। उसके बाद मृत घोषित किया। 

हर माह सिलेंडर रिफिलिंग पर 1 लाख से ज्यादा का खर्च, फिर भी सुविधा नहीं 

पिछले तीन दिनों में दो मौत के ही मामलों को देखा जाए तो वार्ड में ऑक्सीजन लगाए गंभीर मरीज को रैफर करना पड़ा को मरीज से ऑक्सीजन मास्क ही हटाकर एंबुलेंस तक भेजा गया। जबकि ऑक्सीजन रिफिलिंग पर महात्मा गांधी अस्पताल में हर माह एक लाख रुपए से ज्यादा का खर्चा होता है। इसके बाद भी मरीजों को समय पर इसकी सुविधा नहीं मिल रही। औसत 30 सिलेंडर प्रतिदिन जरूरत पड़ती है। हाल में अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड और आईसीयू में सेंट्रलाइज ऑक्सीजन सिस्टम की व्यवस्था है। इसके अलावा मेल वार्ड, फिमेल वार्ड, ट्रोमा में सेंट्रलाइज ऑक्सीजन की पाइप लाइन लगी हुई है। लेकिन सुविधा नहीं मिल पा रही। ऐसे में इन वार्डों में ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की गई है। जिसमें जंबो से लेकर मिनी सिलेंडर भी उपयोग में लिए जा रहे हैं। 

दो मौतों के बाद पीएमओ बोले- ट्राॅली की व्यवस्था करेंगे 

एक के बाद एक दो मौत का आरोप लगने पर अब पीएमओ डॉ. अनिल भाटी कह रहे हैं कि आगे से एमसीएच विंग और अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में बने वार्ड के लिए ट्रॉली की व्यवस्था की जाएगी। जहां से किसी भी मरीज को रैफर करना होतो उस ट्रॉली पर छोटे ऑक्सीजन सिलेंडर रखकर उसे ले जा सकता है। पीएमओ का कहना है कि एसएनसीयू वार्ड में तो सेंट्रलाइज ऑक्सीजन लगी हुई है। अब यह समस्या सामने आई है तो इसके लिए व्यवस्था कर दी जाएगी। 

 

 

By Bhaskar

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