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‘लाल रंग’ की नन्हीं परी को रास आ रही वागड़ की आबोहवा

‘लाल रंग’ की नन्हीं परी को रास आ रही वागड़ की आबोहवा
@HelloBanswara - -

Banswara November 19, 2018 - जिले के समृद्ध आबोहवा पक्षियों को रास आ रही है और इसी कारण से इसमें दुर्लभ पक्षियों की संख्या में भी अभिवृद्धि हो रही है। इसी का ताजा उदाहरण है पक्षियों में बेहद सुंदर दिखाई देने वाली लाल रंग की आकर्षक चिडि़या‘ लाल मुनिया’। पिछले दिनों ठिकरियां में मात्र एक संख्या में दिखाई दी लाल मुनिया इस बार सुरवानिया डेम पर दो दर्जन से अधिक की तादाद में दिखाई दी है। जनसंपर्क उपनिदेशक व पक्षी विशेषज्ञ कमलेश शर्मा ने रविवार को बर्डवॉचिंग दौरान लाल मुनिया को देखा और इसके फोटो क्लिक किए। खजूर के पेड़ों पर छिपती, घास के बीजों को खाती और फुदकती मेल रेड मुनिया के साथ ही फिमेल रेड मुनिया, जिसका रंग मात्र पिछे से लाल होता है, के भी फोटो क्लिक किए गए।  

उल्लेखनीय है कि रेड मुनिया दुर्लभ प्रजाति की व शर्मिली मुनिया है। यह गोरैया के आकार की सुर्ख लाल रंग व चमकीली तिकोनी छोटी चोंच वाला सुंदर आकर्षक पक्षी है तथा यह कुछ विशिष्ट प्रकार की घास के बीजों को खाती है। राजपूताना सोसायटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के संस्थापक और देश के प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी भरतपुर के डॉ. एस.पी. मेहरा ने बताया कि रेड अवाडवट या रेड मुनिया राजस्थान में कहीं-कहीं दिखाई दे रही है जिसमें प्रमुखतया माउंट आबू, कोटा और मध्य अरावली में इसका फैलाव देखा गया है। वागड़ में वर्ष 2006 से 2010 के बीच हुए शोघों में एक-दो बार ही इसको देखा गया है ऐसे में इस बार प्रजनन काल दौरान इसका दिखाई देना क्षेत्र के लिए सुखद पहलू है। पक्षीविद् विनय दवे बताते हैं कि इसके सुर्ख लाल रंग के कारण शिकारी पक्षी रेड मुनिया का आसानी से शिकार करते हैं। विशिष्ट घास के कम होने से यह चिडि़या कम हो रही है वहीं इस चिडि़या के कम होने के कारण बीजों का प्रकीर्णन नहीं होता व वह विशिष्ट प्रजाति की घास भी कम हो रही है।  

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