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यातना केंद्र बने लेबर रूमों की सरकार निष्पक्ष जांच कराए नहीं तो हम कराएंगे : हाईकोर्ट

यातना केंद्र बने लेबर रूमों की सरकार निष्पक्ष जांच कराए नहीं तो हम कराएंगे : हाईकोर्ट
@HelloBanswara - -

यातना केंद्र बने लेबर रूमों की सरकार निष्पक्ष जांच कराए नहीं तो हम कराएंगे : हाईकोर्ट

जोधपुर | लेबर रूम में सफाईकर्मियों के डिलीवरी कराने के मामले में शुक्रवार को हाईकोर्ट ने सुनवाई की। इस दौरान चिकित्सा विभाग की ओर से विरोधाभासी जवाब दिए जाने पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए मौखिक रूप से कहा कि इस पूरे मामले में या तो निष्पक्ष जांच की जाए अन्यथा उन्हें न्यायिक जांच करानी होगी।  

न्यायाधीश संगीत लोढ़ा व दिनेश मेहता की खंडपीठ में विभाग ने इस मामले में सफाईकर्मी को निलंबित करने की जानकारी दी और कहा कि डिलीवरी तो नर्स ने ही कराई थी। इस पर कोर्ट ने कहा कि जब डिलीवरी नर्स ने कराई थी तो सफाईकर्मी को क्यों निलंबित किया? विभाग के खुद के जवाब में विरोधाभास है। कोर्ट ने यह भी पूछा, कि डिलीवरी डॉक्टर ने क्यों नहीं करवाई और डॉक्टर के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।  

दैनिक भास्कर ने रविवार के अंक में ‘प्रसव यातना केंद्र, हे सरकार! सरकारी अस्पतालों में सफाई कर्मचारी करवा रहे प्रसव’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर लेबर रूम के भयावह हालात को उजागर किया था। न्यायमित्र ने प्रार्थना पत्र के साथ समाचार की प्रति पेश की और आग्रह किया था कि प्रसूताओं से जुड़ा यह गंभीर मामला है। इस समाचार को रिकॉर्ड पर लिया जाए। इस पर कोर्ट ने समाचार को रिकॉर्ड पर लिया था। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान न्यायमित्र राजवेंद्र सारस्वत व कुलदीप वैष्णव ने कोर्ट को बताया कि में किए गए स्टिंग ऑपरेशन में सफाईकर्मी द्वारा डिलीवरी कराने का खुलासा हुआ है, जो काफी भयावह है।  
 

बांसवाड़ा में वर्ष 2017 में 80 से अधिक नवजात शिशुओं की मौत हो गई थी। कोर्ट ने इस पर प्रसंज्ञान लिया था तब सीएमएचओ द्वारा एफिडेविट दिया गया था कि सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर ली गई और अब नर्स-डॉक्टर डिलीवरी कराते हैं। लेकिन भास्कर का फरवरी में किए गए स्टिंग ऑपरेशन में सफाईकर्मी द्वारा डिलीवरी कराने का खुलासा हुआ है, जो काफी भयावह और चौंकाने वाला है।  
 

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