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वागड़ नेचर क्लब का ‘एक्सप्लोरिंग बर्ड्स इन बांसवाड़ा’ कार्यक्रम शुरू

वागड़ नेचर क्लब का ‘एक्सप्लोरिंग बर्ड्स इन बांसवाड़ा’ कार्यक्रम शुरू
@HelloBanswara - -

Banswara November 19, 2018 - जिले की समृद्ध नैसर्गिक संपदा में पाए जाने वाले स्थानीय और प्रवासी परिंदों की जानकारी को जन-जन तक पहुंचाने और इसके माध्यम से बांसवाड़ा को पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने की दृष्टि से वागड़ नेचर क्लब का ‘एक्सप्लोरिंग बर्ड्स इन बांसवाड़ा’ कार्यक्रम रविवार से प्रारंभ हुआ। 

कार्यक्रम के तहत रविवार और अन्य अवकाशों के दिनों में क्लब से जुड़े स्थानीय बर्डवॉचर्स द्वारा अलग-अलग जलाशयों पर पहुंच कर पक्षियों की प्रजातियों के बारे में जानकारी संकलित की जाएगी और पक्षियों के संरक्षण-संवर्धन के लिए जनसामान्य तक इसको पहुंचाया जाएगा। 
रविवार को इस श्रृंखला में जिला मुख्यालय के बाई तालाब व कागदी पिक-अप पर पर्यावरणप्रेमी व पर्यटन उन्नयन समिति के संरक्षक जगमालसिंह ने, सुरवानिया डेम पर जनसंपर्क उपनिदेशक कमलेश शर्मा तथा कूपड़ा तालाब पर पक्षीप्रेमी भंवरलाल गर्ग ने बर्डवॉचिंग के साथ पक्षियों के बारे में जानकारियां संकलित की। इसके साथ ही इन स्थानों पर पाई जाने वाली प्रजातियों की फोटोग्राफी भी की गई। आगामी दिनों पर इस पर एक आकर्षक फोल्डर तैयार किया जाएगा व प्रदर्शनी लगाई जाएगी।  

सर्दी शुरू पर नहीं पहुंचे प्रवासी परिंदें: 
सर्दियों की दस्तक के साथ आमतौर पर जिले के जलाशयों पर प्रवासी परिंदों का आगमन शुरू होने लगता है परंतु इस बार अब तक जिले के जलाशयों पर इनकी संख्या में बहुत कम बढ़ोत्तरी हुई है। तीनों तालाबों पर स्थानीय पक्षी कूट्स, स्पॉट बिल डक, डबचिक, जैकाना, कॉमन स्टॉन चेट की संख्या ज्यादा पाई गई वहीं प्रवासी पक्षियों में  गेडवाल, ब्लू थ्रोट, शॉवलर इत्यादि ही देखे गए।    

यह है दिखाई दिए पक्षियों की विशेषता: 
उदयपुर के पक्षी विशेषज्ञ विनय दवे बताते है कि प्रवासी पक्षी गेडवाल यूरोप से आता है और इस बार समूचे वागड़-मेवाड़ में यह बहुत कम संख्या में आया है। छिछले पानी को पसंद करने वाला यह पक्षी घास, घोंघे और छोटी मछलियां खाता है। पिछले वर्ष की तुलना में इसकी संख्या बहुत कम दिखाई दे रही है।  
पक्षी विशेषज्ञ कमलेश शर्मा बताते हैं कि सुरवानिया डेम पर देखा गया ब्लू थ्रोट सर्दियों में आने वाला प्रवासी पक्षी है और यह यूरेशिया से यहां आता है। सर्दियों की शुरूआत में ही इसका आगमन होता है। अपने गले के आकर्षक नीले रंग के कारण अन्य पक्षियों से सुंदर दिखने वाले इस पक्षी की विशेषता है कि ज्यों-ज्यों सर्दी बड़ती है  त्यों-त्यों इसके गले का नीला रंग की सुंदरता उभरती जाती है। यह मादा को रिझाने के लिए आकर्षक नृत्य करता है। 
इसी प्रकार कॉमन स्टोन चेट पूर्व में प्रवासी माना जाता था परंतु अब यह सामान्यतया पूरे साल दिख रहा है। यह घास व सरकंडों के ठूंठ पर ही बैठना पसंद करता है और कीट-पतंगों का शिकार करता है। पंखों के खुल जाने पर इसकी सुंदरता बढ़ जाती है। बार-बार एक ही इलाके में आकर बैठना पसंद करता है। 

शिकारी पक्षी ओस्प्रे एक स्थानीय पक्षी है और यह मछलीमार के नाम से भी जाना जाता है। सूखे पेड़ पर घोसला बनाता है। इसकी संख्या दिनों दिन कम होती जा रही है। मजबूत पंखों वाला यह पक्षी गोता लगाकर मछली पकड़ता है। 

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