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विश्व विद्यालय के भवन निर्माण का काम 6 माह बाद भी चारदीवारी तक का निर्माण नहीं हुवा

विश्व विद्यालय  के भवन निर्माण का काम 6 माह बाद भी चारदीवारी तक का निर्माण नहीं हुवा
@HelloBanswara - -

Banswara September 22, 2018 राज्य सरकार की घोषणा के अनुसार बांसवाड़ा में गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना कर उसके लिए 120.31 बीघा जमीन का आवंटन भी कर दिया गया है। जहां निर्माण कार्य गत 9 अप्रैल से शुरू हो चुका हैं, लेकिन अभी हालात यह है कि जमीन पर चारदीवारी का निर्माण कार्य भी पूरा नहीं हुआ है। जबकि समय सीमा के अनुसार अब तक 80 से 90 फीसदी कार्य पूरा हो जाना था। 

विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए कार्यकारी एजेंसी आरएसआरडीसी है। विश्वविद्यालय का तर्क है कि एजेंसी और ठेकेदारों द्वारा काम को पूरा करने में ढिलाई के कारण काम नहीं हो पा रहा हैं, जबकि आरएसआरडीसी के एईएन दीपक परिहार का कहना है कि बड़वी स्थित विश्वविद्यालय की जमीन में 20 बीघा जमीन पर दिक्कत आ रही है। यहां पहले से कब्जेशुदा लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा हैं। 

कारीगरों पर पत्थरों से हमले किए जाते हैं, इससे काम बार-बार रुक रहा है। पथराव करने के हालात के कारण ठेकेदार और श्रमिक वहां काम नहीं कर पा रहे हैं। इस संबंध में हमने विश्वविद्यालय प्रशासन को भी अवगत करवाया है। इन लोगों ने जमीन पर पहले से कब्जा किया हुआ है, जिस कारण वे जमीन खाली करना नहीं चाह रहे हैं। विश्वविद्यालय के लिए राज्य सरकार से आवंटित 120.31 बीघा जमीन में से 20 बीघा जमीन पर स्थानीय व्यक्ति ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। फिलहाल 121 बीघा जमीन के हिसाब से आरएसआरडीसी को ठेकेदार कंपनी जय बाबा कंस्ट्रक्शन कंपनी के माध्यम से तीन किलोमीटर परीधि क्षेत्र में चारदीवारी का निर्माण कार्य करवाना है और साथ ही पहले प्रशासनिक भवन और बाद में अन्य ब्लॉक्स का निर्माण कार्य करवाना है। 

आरएसआरडीसी: 20 बीघा जमीन पर कब्जा, काम शुरू करते ही करते हैं पथराव, इसलिए हो रही देरी विश्वविद्यालय: देरी के लिए आरएसआरडीसी जिम्मेदार, तीन पत्र लिखे लेकिन कोई जवाब नहीं 

बड़वी में चल रहा विश्वविद्यालय भवन के निर्माण का कार्य। 

आंकड़ों में एक नजर 

कार्य- गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय। 

स्थान- ग्राम पंचायत बड़वी। 

भूमि- 120.31 बीघा। 

लागत- 12.50 करोड़ और 3.93 करोड़ रुपए 

कार्य- कुलसचिव भवन, परीक्षा नियंत्रक कक्ष, शोध कार्यालय, अकादमिक भवन, 5 कक्षा-कक्ष, स्टूडियो अपार्टमेंट। 

कार्य शुरू- 9 अप्रैल 2018 

समाप्ति- 8 फरवरी 2019 (वीसी/सीईओ और साइट डेवलपमेंट) 1 अक्टूबर 2018 (अकादमिक ब्लॉक और स्टाफ क्वार्टर) 

नियंत्रण आरएसआरडीसी का, ठेकेदार सुनता नहीं 

पहला पत्र- 22 जून 2018 : कुलसचिव सोहन सिंह कठात ने प्रोजेक्ट डायरेक्टर को लिखे पत्र में बताया कि जय बाबा कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा काम समय पर पूरा नहीं किया जा रहा है। एग्रीमेंट के अनुसार 50 फीसदी कार्य पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन कॉन्ट्रेक्टर द्वारा सामान्य कार्य भी पूरे नहीं किए गए हैं। जिसमें सीमेंट स्टोर, बोरवेल, यूनिट ऑफिस, बिल्डिंग कनेक्शन, यहां तक की मटेरियल और पानी के इंतजाम भी नहीं किए गए हैं। इस संबंध में एजेंसी और कॉन्ट्रेक्टर दोनों से बात की लेकिन प्रत्युत्तर बहुत ही गैर जिम्मेदाराना रहा। 

दूसरा पत्र - 14 जुलाई 2018 : कुलसचिव ने दोबारा 14 जुलाई को आरएसआरडीसी के प्रबंध निदेशक को पत्र लिखा जिसमें बताया कि निर्माण कार्य को लेकर पहले तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी गई थी, लेकिन एजेंसी द्वारा उसे अब तक उपलब्ध नहीं कराया गया। कुलपति की ओर से 14 जुलाई को निर्माण कार्य का अवलोकन किया गया, लेकिन वहां बाउंड्रीवाल के अलावा किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं किया गया है। इसके अलावा वहां निर्माण कार्य से जुड़ी कोई गतिविधि नहीं पाई गई। ऐसे में ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के भी निर्देश विश्वविद्यालय की ओर से दिए गए। 

तीसरा पत्र- 17 जुलाई 2018 : विश्वविद्यालय अभियंता मोहकमसिंह ने परियोजना निदेशक को पत्र लिखकर बताया कि विश्वविद्यालय परिसर में मुख्य नहर के नीचे की पूरी जमीन पर कोई विवाद नहीं है। एजेंसी की ओर से नहर के किनारे वनरेबल रीचिज और सड़क के किनारे पर बाउंड्रीवाल की डिजाइन और ड्रॉइंग कुलपति के आदेश के बाद भी ठेकेदार को उपलब्ध नहीं कराई गई। बाउंड्रीवाल की लाइन पर ऑवर बर्डन है जिसे हटाकर काम करने की योजना के बारे में भी ठेकेदार को नहीं बताया गया। इस कारण पूरा काम प्रभावित हो रहा है। काम में देरी के लिए आरएसआरडीसी पूरी तरह से जिम्मेदार है। इन समस्याओं को दूर करने के लिए एजेंसी को अपना कर्मचारी यहां नियुक्त करना होगा, ताकि काम समय पर हो सके। 

कुलपति और रजिस्ट्रार ने तीन से चार बार प्रोजेक्टर डायरेक्टर को बताया, लेकिन कोई जवाब नहीं 

सरकार द्वारा निर्माण का कार्य एजेंसी को दिए जाने के कारण विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से भी ठेकेदार के काम में ज्यादा दखल नहीं दिया जा रहा। ठेकेदार द्वार एजेंसी के माध्यम से भुगतान नहीं होने की बात कहकर टाल दिया जाता है। भवन को जल्दी तैयार करने के लिए कुलपति और रजिस्ट्रार 3 से 4 बार लिखित में आरएसआरडीसी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर को काम में देरी से अवगत करा चुके है, लेकिन एक भी बार एजेंसी से कोई जवाब नहीं आया। 

 

 

By Bhasker

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