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बाल अधिकार संरक्षण आयोग सदस्य बांसवाड़ा पहुंचे, बाल अधिकार संरक्षण गतिविधियों की समीक्षा की

बाल अधिकार संरक्षण आयोग सदस्य बांसवाड़ा पहुंचे, बाल अधिकार संरक्षण गतिविधियों की समीक्षा की
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Banswara July 19, 2018 - राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के दो सदस्य एस.पी. सिंह और उमा रतनू बीते कल बुधवार को जिले की यात्रा पर रहे। इस दौरान उन्होंने विभिन्न सरकारी संस्थाओं का निरीक्षण करते हुए यहां बच्चों को दी जा रही सेवाओं के बारे में जानकारी ली और जिलाधिकारियों की बैठक लेते हुए बाल अधिकार संरक्षण विषय पर चर्चा की। 

जिला बाल कल्याण समिति को सशक्त बनावें: 
कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित जिलाधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हुए बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य एस.पी. सिंह ने कहा कि जिले में बाल अधिकार संरक्षण गतिविधियों को प्रभावी रूप से संपादित करने के लिए जहां पंचायत तथा ब्लॉक स्तरीय समितियों के गठन व उनकी बैठकों के आयोजन की आवश्यकता है वहीं जिला स्तर पर गठित जिला बाल कल्याण समिति को सशक्त किया जाए। उन्होंने जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. भंवरलाल को ब्लॉक स्तरीय समितियों की बैठक आयोजित करवाने के लिए भी कहा। 

इस मौके पर किशोर न्याय अधिनियम-2015 व पोक्सो एक्ट-2012 के तहत गतिविधियों की समीक्षा करते हुए बाल अधिकार संरक्षण आयोग सदस्य उमा रतनू ने बाल मित्र पुलिस थानों के निर्माण तथा बाल डेस्क व बाल रजिस्टर के संधारण की बात कही। उन्होंने बालिका गृह की आवश्यकता प्रतिपादित करते हुए बाल गृहों के बच्चों के आधार कार्ड निर्माण करवाने के लिए प्रशासन को व्यवस्था करने को कहा। 

बैठक में जिला कलक्टर भगवतीप्रसाद ने सदस्यों का स्वागत किया और जिले में बाल संरक्षण गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर जिला पुलिस अधीक्षक कालूराम रावत, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. भंवरलाल, अतिरिक्त जिला कलक्टर हिम्मतसिंह बारहठ, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष हरिश त्रिवेदी, सदस्य शांतिलाल चौबीसा, मधुसूदन व्यास, श्याम कुंवर, अर्चना दवे, डॉ. युधिष्ठिर त्रिवेदी, कमलेश बुनकर, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक दिलीप रोकड़िया सहित बाल संरक्षण गतिविधियों से जुड़ी संस्थाओं के प्रतिनिधि व विभागीय अधिकारी मौजूद थे। आभार एडीएम हिम्मतसिंह बारहठ ने जताया।    
 

बाल अधिकार संरक्षण गतिविधियों की समीक्षा: 
बैठक में आयोग सदस्य एसपी सिंह ने आरटीई के तहत जिले में प्रवेश की स्थितियों के बारे में शिक्षा विभागीय अधिकारियों से पूछा तो उन्होंने जिले के 317 विद्यालयों के इस दायरे में आने तथा लगभग 3 हजार सीटों पर अब तक लगभग 2400 प्रवेश की जानकारी दी। इस पर उन्होंने कहा कि आयोग की मंशा है कि हर गरीब बच्चे को इस कानून का फायदा मिले।  

बैठक दौरान सिंह ने जिला टास्क फोर्स बैठक के आयोजन के संबंध में श्रम विभाग के अधिकारियों से जानकारी ली तथा बाल कल्याण समिति, पुलिस व शिक्षा विभाग के प्रतिनिधियों से बैठक के संबंध में पुष्टि की तो उन्होंने इस प्रकार की किसी बैठक के आयोजित नहीं होने की जानकारी दी। इस स्थिति पर सिंह ने नाराजगी जताई और विभागीय अधिकारी से टास्क फोर्स बैठक के दस्तावेज बैठक में तलब किए। इसी प्रकार सदस्यों ने महिला एवं बाल विकास विभाग से कुपोषित बच्चों के संबंध में की जा रही कार्यवाही के बारे में जानकारी ली तो उपनिदेशक ने 139 अतिकुपोषित बच्चों में से 77 को चिकित्सालय में भर्ती करवाए जाने के बारे में बताया। इस पर उन्होंने सीएमएचओ से चिकित्सालय में भर्ती बच्चों की संख्या से पुष्टि की और भिन्नता पाए जाने पर कहा कि बच्चों से जुड़े मामलों पर वे संवेदनशील होकर कार्य करें। सिंह ने सेव द चिल्ड्रन संस्था की गतिविधियों की समीक्षा उपरांत संस्था को बाल कल्याण समिति व जिला प्रशासन से समन्वय स्थापित करते हुए कार्य करने के निर्देश दिए। समीक्षा दौरान बाल कल्याण समिति के सदस्य मधुसूदन व्यास व शांतिलाल चौबीसा ने जिले में बाल अधिकार संरक्षण गतिविधियों के बारे में जानकारी देते हुए जिले में डाम प्रथा के प्रति जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता जताई।  

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