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लाल बहादुर शास्त्री जयंती

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लाल बहादुर शास्त्री जयंती
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प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) का जन्म 2 अक्टूबर (2 October) 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था. शास्त्री जी महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को अपना गुरु मानते थे. उन्हें गांधी जी के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लेने के चलते कुल सात वर्षों की जेल हुई थी. गरीबों की सेवा में अपना जीवन समर्पित करने वाले शास्त्री देश के रेल मंत्री, परिवहन एवं संचार मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री एवं नेहरू जी की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री रहे. नेहरू जी के निधन के बाद वह 1964 में देश के प्रधानमंत्री बने.

लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) ने 'जय जवान जय किसान' (Jai Jawan Jai Kisan) का नारा दिया था. उनके इस नारे के पीछे बड़ी ही दिलचस्प कहानी है. 1962 के भारत-चीन युद्ध से देश आर्थिक रूप से कमजोर हो चुका था. जब शास्त्री जी प्रधानमंत्री बने तब देश में खाने का संकट था. उस समय देश में भयंकर सूखा पड़ा और खाने की चीजों को निर्यात किया जाने लगा. इसी दौरान 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हुआ. भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के हमलों का जोरदार जवाब दिया. भारत ने 6 सितंबर को पंजाब फ्रंट खोला और भारतीय सैनिक बरकी तक जा पहुंचे, लाहौर अब दूर नहीं था. भारतीय सेना लाहौर के हवाई अड्डे पर हमला करने की सीमा के भीतर पहुंच गयी थी. घबराकर अमेरिका ने अपने नागरिकों को लाहौर से निकालने के लिए कुछ समय के लिए युद्धविराम की अपील की. उस समय हम अमेरिका की पीएल-480 स्कीम के तहत हासिल लाल गेहूं खाने को बाध्य थे. अमेरिका के राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने शास्त्री जी को कहा कि अगर युद्ध नहीं रुका तो गेहूं का निर्यात बंद कर दिया जाएगा. वहीं, शास्त्री जी ने कहा- बंद कर दीजिए गेहूं देना. 

इसके बाद अक्टूबर 1965 में दशहरे के दिन दिल्ली के रामलीला मैदान में शास्त्री जी ने देश की जनता को संबोधित किया. उन्होंने देशवासियों से एक दिन का उपवास रखने की अपील की. साथ ही कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए उन्होंने पहली बार 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया. शास्त्री जी का ये नारा जवान एवं किसान के श्रम को दर्शाता है. उनके इस नारे का प्रयोग आज भी रैलियों और सभाओं में किया जाता है.

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