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गणतंत्र दिवस

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26 जनवरी 

26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है गणतंत्र दिवस, इसलिए है इस दिन का महत्व

भारत में प्रत्येक साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। इसी दिन भारत का संविधान लागू हुआ था। इसी दिन भारत में कानून का राज कायम हुआ।

इस दिन राष्ट्रपति तिरंगा फहराते हैं और 21 तोपों की सलामी दी जाती है। सामूहिक रूप में खड़े होकर राष्ट्रगान गाया जाता है।

भारत में 26 जनवरी खास महत्व रखता है। इसी दिन भारत का संविधान लागू हुआ था यानि देश में कानून के राज की शुरुआत हुई। 26 जनवरी को राष्ट्रीय पर्व का दर्जा प्राप्त है। हर साल इस दिन को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भारत अपने गणतंत्र दिवस के मौके पर किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाता है। इंडिया गेट पर राज्यों की झांकियां निकाली जाती हैं और राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी जाती है। आइए जानते हैं कि भारतवासियों के लिए क्यों खास है यह दिन- 

इसलिए है खास 26 जनवरी 
वर्ष 1929 के दिसंबर महीने में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। इसकी अध्यक्षता पंडित जवाहरलाल नेहरू कर रहे थे। इस अधिवेशन में प्रस्ताव पास हुआ कि अगर अंग्रेजी  हुकूमत 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमिनियन का पद नहीं देता है तो भारत खुद को पूरी तरह से स्वतंत्र घोषित कर देगा। इसके बावजूद 26 जनवरी 1930 तक जब अंग्रेज सरकार ने कुछ नहीं दिया तब कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन शुरू किया। इस दिन जवाहर लाल नेहरु ने लाहौर में रवि नदी के किनारे तिरंगा फहराया। इसके बाद भारत ने 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया। उस दिन से 1947 में देश के आजाद होने तक 26 जनवरी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। इसके बाद देश आजाद हुआ और 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया गया। हमारा संविधान 26 नवंबर 1949 तक तैयार हो गया था। तब जो नेता थे उन्होंने दो महीने और रुकने का निर्णय लिया। और फिर 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ और इस दिन को तब से गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है।
 
26 नवंबर संविधान दिवस
भारत के आजाद होने के बाद संविधान सभा का गठन हुआ। संविधान सभा ने अपना काम 9 दिसंबर 1946 से शुरू किया। दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान 2 साल, 11 माह, 18 दिन में तैयार हुआ। संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान सौंपा गया, इसलिए 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाता है। संविधान सभा ने संविधान निर्माण के समय कुल 114 दिन बैठक की। इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की आजादी थी। अनेक सुधारों और बदलावों के बाद सभा के 308 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर किए। इसके दो दिन बाद संविधान 26 जनवरी को यह देश भर में लागू हो गया। 26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए इसी दिन संविधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा स्वीकृत संविधान में भारत के गणतंत्र स्वरूप को मान्यता प्रदान की गई। 

डॉ. भीमराव अंबेडकर थे प्रारूप समिति के अध्यक्ष 
संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे। डॉ. भीमराव आंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। संविधान निर्माण में कुल 22 समितियां थीं जिसमें प्रारूप समिति (ड्राफ्टिंग कमेटी) सबसे प्रमुख और महत्त्वपूर्ण समिति थी और इस समिति का कार्य संपूर्ण संविधान लिखना या निर्माण करना था। प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे। अंबेडकर को संविधान का पिता भी कहते हैं।

संसद भवन के पुस्तकालय में है संविधान की हाथ से लिखी मूल प्रतियां 
भारतीय संविधान की दो प्रतियां जो हिंदी और अंग्रेजी में हाथ से लिखी गई। भारतीय संविधान की हाथ से लिखी मूल प्रतियां संसद भवन के पुस्तकालय में सुरक्षित रखी हुई हैं। भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने गवर्नमैंट हाऊस में 26 जनवरी 1950 को शपथ ली थी। गणतंत्र दिवस की पहली परेड 1955 को दिल्ली के राजपथ पर हुई थी। 29 जनवरी को विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है जिसमें भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के बैंड हिस्सा लेते हैं। गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री अमर ज्योति पर शहीदों को श्रद्धाजंलि देते हैं जिन्होंने देश के आजादी में बलिदान दिया।

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