14 फरवरी श्रद्धांजलि दिवस
14 February भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के इतिहास का एक अत्यंत दू:खद और अविस्मर्णीय दिवस है। जब शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु और आततायी अंग्रेजों द्वारा फंसी की सजा सुनाई गई।
भारत माता के सच्चे सपूत, जन्मजात देशभक्त इन तीन रत्नों के फंसी के एलन पर हर आँख रोई थी और लगा था मानों हजारों वर्षों तक इनके त्याग और बलिदान को भारतवासी याद करते रहेंगे। पर आज फरवरी को देश का माहौल आज उनके इस बलिदान को भूल चूका है इस दिन को सभी वैलेंटाइन के रूप में भी बनाते है जो पश्च्यात संकृति का फेस्टिवल है जिसे भारत में युवा युवतिया और कुछ उम्रदराज के लोग भी मानते है, परन्तु इसी के मध्य आज देश के लिए जिन्होंने बलिदान दिया है उसे भूल चुके है, इस कारण युवा शत में वीरता और त्यागमय गौरवशाली अतीत का स्वाभिमान जागृत करना है तो इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मानाने की आवश्यकता पड़ी।
चाणक्य का सन्देश भी है कि वो सभ्यता वो देश खत्म हो जाता है जो देश अपने इतिहास को भूल जाता है, इसलिए जिसने बलिदान दिया है हमारे देश के लिए वो हमारे लिए ही दिया है इसलिए उन्हें भूलने का मतलब ये है की हम कभी खुद का इतिहास नहीं बना पायेंगे।