मानवता की आड़ में भेड़ियों की भीड़
मानवता की आड़ में भेड़ियों की भीड़ (Hordes of wolves in the guise of humanity)
हाल ही में राजस्थान के जयपुर शहर में जो शर्मसार करने वाली घटना घटी है। उसके बाद यह तय हो गया है, कि हमारे देश में मानवता की आड़ में भेड़ियों की भीड़ बढ़ रही है आजाद देश के अंदर जिस प्रकार के कुकृत्य हो रहे हैं। उससे ही यह समझ पाना मुश्किल होता जा रहा है, कि हम किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। यौन शोषण बलात्कार और दुष्कर्म के कितने ही मामले पिछले दिनों में हमारे सामने आए हैं, कि यह तय करना मुश्किल हो गया है कि इंसान कौन है और भेड़िया कौन भेड़िया भी केवल अपने पेट की भूख के लिए शिकार करता है और हमारे देश में मानव रूपी भेड़िए अपने हवस के लिए एक फूल को रौंद देते हैं। हालांकि मुझे इतना कड़वा नहीं बोलना चाहिए पर यह कड़वाहट ही अब हमारे देश की सच्चाई बन चुकी है। देश की बेटियों और बच्चे अब किस पर अपना भरोसा जताएं क्योंकि यह तय करना बड़ा ही मुश्किल हो गया है कि इस एक अरब की आबादी वाले क्षेत्र में कौन अपना है और कौन पराया देश के हालात दिनोंदिन इतने खराब होते जा रहे हैं। हमें शर्म आती है कि हम रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद के देश के रहने वाले हैं हमें शर्म आती है कि गांधी सुभाष और मातृभूमि के लिए फांसी तक को चूम लेने वाले शहीद भगत सिंह की जमीन पर हम जन्मे है। हर बार सत्ता के चाहने वाले लोग इन मुद्दों को चुनावी वोट के लिए उठाते तो हैं पर जमीनी स्तर पर इसे रोकने के लिए ना तो कोई कड़ा कानून बनता है ना ही इसे रोकने के लिए कोई प्रयास किए जाते हैं। एक तरफ यूपी चुनाव की सभाओं में इन मुद्दों पर दुख जताया जा रहा था वहीं दूसरी ओर जयपुर में जो हुआ हैै उसके बाद तो यह तय हो गया है, कि हमारे देश में बड़ी संख्या में भेड़िया पनप रहे हैं। जो हमारे देश की धरती को दागदार कर रहे हैं। जयपुर में जो एक शिक्षक ने मासूमों के साथ किया है उसके बाद तो किसी भी चेहरे पर यकीन कर पाना बहुत ही मुश्किल हो चुका है। जहां हम अपने बच्चों को शिक्षा के लिए भेजते हैं, उनके भविष्य के निर्माण के लिए भेजते हैं अगर वह ही बच्चों के साथ इस प्रकार की घटना हो जाए तो इससे ज्यादा दुर्भाग्य की बात हमारे लिए क्या होगी। विकास की भाग दौड़ में हम इतने आगे तो निकल गए पर हमारे देश में अभी जो हालात हैं और जिस प्रकार की घटनाएं हो रही है उससे तो हर मां बाप के लिए अपने बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी बहुत कठिन हो जाएगी कहां-कहां वह अपने बच्चों को ध्यान रख पाएंगे स्कूल अस्पताल और हमारे आस पड़ोस में भी भेड़िया पनप रहे हैं। कहां-कहां इन भेडियो से अपने बच्चों को बचाएंगे इन भेडियो से बचने की जंग में मैं और आप ही नहीं पूरे एक अरब की आबादी वाले देश को एक होकर इन भेड़ियों का खात्मा करना होगा देश की सरकार के कानों तक आवाज पहुंचानी होगी ताकि एक कड़ा कानून बन सके और हमारे देश का भविष्य बिना किसी डर के बेखोप जिसके और हमारे देश में भेड़ियों की बजाए चिड़ियों की चहचाहट गूंज सके।